उम्मीद है यहीं,
मिले सब कुछ,
जो चाहूँ,
सब हैं यहाँ आपका,
मेरे ईश्वर,
कोशिश है बस मेरी,
करता रहूँ कर्म हर पल,
उम्मीदों का परिंदा हूँ मैं,
आसमाँ हैं जहान आपका।
बलबीर सिंह
प्रबल।
25 अप्रैल 2015
0 फ़ॉलोअर्स
मैं राजभाषा अधिकारी हूँ हिन्दी मेरी जान है मेरी मातृभाषा भी है और मेरी शान है D