shabd-logo

मेरी किताबें ......बाल नाटकिकाओ की कृति

26 सितम्बर 2015

227 बार देखा गया 227
featured image

विवेक रंजन श्रीवास्तव की अन्य किताबें

18
रचनाएँ
vivekranjan
0.0
स्वरचित नाटक आलेख पिताश्री अनुवाद विज्ञान इत्यादि
1

विविधता , नित नूतनता , व परिवर्तनशीलता के धनी... जनभावों के रचनाकार ठक्कन मिसर ..... वैद्यनाथ मिश्र....."नागार्जुन" उर्फ "यात्री"

26 सितम्बर 2015
0
1
0

विविधता , नित नूतनता , व परिवर्तनशीलता के धनी... जनभावों के रचनाकार ठक्कन मिसर ..... वैद्यनाथ मिश्र....."नागार्जुन" उर्फ "यात्री" .....विवेक रंजन श्रीवास्तव ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर म.प्र.vivek1959@yahoo.co.in "जब भी बीमार पड़ूं, तो किसी नगर के लिए टिकिट लेकर ट्रेन में

2

विविधता , नित नूतनता , व परिवर्तनशीलता के धनी... जनभावों के रचनाकार ठक्कन मिसर ..... वैद्यनाथ मिश्र....."नागार्जुन" उर्फ "यात्री"

26 सितम्बर 2015
1
2
1

विविधता , नित नूतनता , व परिवर्तनशीलता के धनी... जनभावों के रचनाकार ठक्कन मिसर ..... वैद्यनाथ मिश्र....."नागार्जुन" उर्फ "यात्री" .....विवेक रंजन श्रीवास्तव ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर म.प्र.vivek1959@yahoo.co.in "जब भी बीमार पड़ूं, तो किसी नगर के लिए टिकिट लेकर ट्रेन में

3

मितव्ययी विद्युत प्रणाली के विकास पर इंजीनियर विवेक रंजन श्रीवास्तव से बातचीत

26 सितम्बर 2015
0
1
0

मितव्ययी विद्युत प्रणाली के विकास पर इंजीनियर विवेक रंजन श्रीवास्तव से बातचीत प्रश्न .. मितव्ययी विद्युत प्रणाली के विकास की जरूरत क्यो है . उत्तर ... उपभोक्ता प्रधान वर्तमान युग में अभी भी यदि कुछ मोनोपाली सप्लाई मार्केट में है तो वह बिजली ही है . बिजली की मांग ज्यादा और उपलब्धता कम है .बिजली का

4

चिंतन ।.... सकारात्मक बने

26 सितम्बर 2015
0
1
1

चिंतन सकारात्मक बने विवेक रंजन श्रीवास्तव ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर मो ९४२५८०६२५२ व्यक्तित्व को हम दो श्रेणियों में बांट सकते हैं। एक वह, जिसे मनोविज्ञानी नकारात्मक व्यक्तित्व कहते हैं, जो हमेशा चीजों के प्रति ॠणात्मक निराशावादी और उदासीन नजरिया रखता है। ऐसे व्यक्तियो का ए

5

शहरी जीवन की व्यंग्य अभिव्यक्ति : कौआ कान ले गया

26 सितम्बर 2015
0
1
1

समीक्षक : एम. एम. चन्द्राविवेक रंजन श्रीवास्तव का व्यंग्य संग्रह 90 के दशक के बदलते रंग-ढंग, रहन-सहन या उपभोगतावादी संस्कृति में तबदील होती नई पीढ़ी की दशा का सीधा-सरल किन्तु प्रभावशाली व्यंग्यात्मक विवरण प्रस्तुत करता है. इसमें वैश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण के कारण देश में उस विकास की प्रक्रिया को

6

मेरी किताबें .......

26 सितम्बर 2015
0
0
0
7

मेरी किताबें ...आक्रोश १९९२ में तार सप्तक समारोह भोपाल में विमोचित नई कविताओ की मेरी कृति

26 सितम्बर 2015
0
0
0
8

मेरी किताबें ......बाल नाटकिकाओ की कृति

26 सितम्बर 2015
0
0
0
9

मेरी किताबें ....नुक्कड़ नाटिका

26 सितम्बर 2015
0
1
0
10

मेरी किताब .. बिजली का बदलता परिदृश्य सरल भाषा में वैज्ञानिक विषयों पर जनोपयोगी आलेख

26 सितम्बर 2015
0
2
0
11

मेरी किताब .. सरल भाषा में पर्यावरण पर जनोपयोगी आलेख

26 सितम्बर 2015
0
1
0
12

मेरी किताब .. मेरे व्यंग लेख

26 सितम्बर 2015
0
1
0
13

मेरी किताब .. मेरे व्यंग लेख

26 सितम्बर 2015
0
1
1
14

बड़ें भाग मानुष तनु पावा

26 सितम्बर 2015
0
1
0

चिंतन बड़ें भाग मानुष तनु पावाविवेक रंजन श्रीवास्तव ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर मो ९४२५८०६२५२ कहा जाता है कि मनुष्य जब बच्चे के रूप में माँ के गर्भ में होता है तो कहा जाता है वह जीव उस अंध कूप से बाहर आने के लिये प्रार्थना करता है कि , हे प्रभु ! तू मुझे इस दुःखद स्थिति से बा

15

ई मेल एड्रेस का पंजीकरण कानूनी रूप से किया जाना जरूरी

28 सितम्बर 2015
0
2
1

ई मेल एड्रेस का पंजीकरण कानूनी रूप से किया जाना जरूरी इंजी विवेक रंजन श्रीवास्तवओ बी ११ विद्युत मण्डल कालोनी रामपुर जबलपुरvivekranjan.vinamra@gmail.comमो 9425806252 इंटरनेट से जुड़ी आज की दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति का ई मेल एड्रेस होना एक अनिवार्यता बन चुका है ! ई गवर्नेंस पेपर लैस बैंकिंग तथा रोज

16

किशोर बच्चो के लिये मेरे नाटक …नई किताब

28 सितम्बर 2015
0
4
2
17

मेरे प्रिय व्यंग ...

28 सितम्बर 2015
0
2
1
18

कैसा हो साहित्य कि जब साहित्यकार सम्मान लौटाने पर विवश हो तो भव्य जन आंदोलन खड़े हो जावें

13 अक्टूबर 2015
0
3
1

कैसा हो साहित्य कि जब साहित्यकार सम्मान लौटाने पर विवश हो तो भव्य जन आंदोलन खड़े हो जावें  विवेक रंजन श्रीवास्तव   देश के विभिन्न अंचलो से रचनाकारो , लेखको , बुद्धिजीवियों द्वारा साहित्य अकादिमियो के सम्मान वापस करने की होड़ सी लगी हुई है . संस्कृति विभाग , सरकार , प्रधानमंत्री जी मौन हैं .जनता चुप है

---

किताब पढ़िए