विवेक रंजन श्रीवास्तव
आदिवासी बहुल जिले मण्डला में जिला मुख्यालय की बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक शाला में साहित्यकार व लोकप्रिय व्याख्याता श्री सी. बी.श्रीवास्तव "विदग्ध" होस्टल वार्डन थे .उनकी पत्नी श्रीमती दयावती श्रीवास्तव भी मण्डला के ही रानी रामगढ़ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्याख्याता थीं . २८.०७.१९५९ को इस दम्पति के घर मंडला में विवेक रंजन श्रीवास्तव का जन्म हुआ .वे अपनी उच्चशिक्षित एक बड़ी बहन तथा दो छोटी बहनो के इकलौते भाई हैं . बचपन से ही मेधावी छात्र के रूप में उन्होने अपनी पहचान बनाई .किशोरावस्था आते आते उन पर माता पिता के साहित्यिक संस्कारो का प्रभाव स्पष्ट दिखने लगा . कक्षा चौथी में जबलपुर के विद्यानगर स्कूल में जब उन्होने महात्मा गांधी का अभिनय किया तो "मोहन" के इस रोल में वे ऐसे डूब गये कि मुख्यअतिथि ने उन्हें वहीं तुरंत ५१ रुपयो का पुरस्कार दिया .लिखने की जरूरत नही कि १९६८ में ५१ रुपये क्या महत्व रखते थे . शायद तभी विवेक रंजन में नाटककार के बीज बोये जा चुके थे . कक्षा आठवीं की बोर्ड परीक्षा में उन्हें मेरिट में स्थान मिला . हाईस्कूल की शिक्षा के लिये ग्रामीण प्रतिभावान छात्रवृत्ति मिली . उन्होने रायपुर अभियांत्रिकी महाविद्यालय से सिविल इजीनियरिंग में बी ई की परीक्षा आनर्स के साथ पास की . इसके तुरंत बाद फाउंडेशन इंजीनियरिंग में मौलाना आजाद रीजनल कालेज भोपाल से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की . अपने छात्र जीवन से ही वे कालेज की सांस्कृतिक गतिविधियो से जुड़े रहे मंच संचालन किया तथा कालेज की पत्रिकाओ "आलोक" आदि का सम्पादन भी किया . रायपुर , जबलपुर व भोपाल के आकाशवाणी केन्द्रो से उनके प्रसारण भी होते रहे . तभी से वे रेडियो रूपक भी लिख रहे हैं . वे बताते हैं कि रायपुर आकाशवाणी से १९७८ में युववाणी के उनके पहले प्रसारण के लिये उन्हें ३० रुपये का चैक प्राप्त हुआ था .अपने संस्मरण स