मेरी प्रीतम, मुझमे बसी,
फिर भी मेरा मन ढूंढे।
फिर भी मेरा मन ढूंढे।।
मेरी प्रीतम, मेरी कस्तूरी,
फिर भी मेरा मृग मन भटके।
फिर भी मेरा मृग मन भटके।।
मेरी प्रीतम, मेरा वेद पुराण,
फिर भी मेरी गुरुवाणी अटके।
फिर भी मेरी गुरुवाणी अटके।।
मेरी प्रीतम, मेरी अनुसुइया,
फिर भी मेरा उदर भूखा।
फिर भी मेरा उदर भूखा।।
मेरी प्रीतम, स्वाति की बूंद,
फिर भी मेरा चातक मन प्यासा।
फिर भी मेरा चातक मन प्यासा ।।