मुकेश रणवा
अन-लिमिटेड ज़िंदगी नामक पुस्तक के लेखक मुकेश रणवा जो राजस्थान के सीकर जिले के ग्रामीण अंचल भीराना, लोसल से ताल्लुक रखते हैं आप राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग में कार्यरत लोकसेवक है जिन्होंने विगत 18 सालों में निजी शिक्षण संस्थानों से लेकर राजकीय शिक्षण संस्थानों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से विद्यार्थी जीवन को करीब से महसूस किया है। आपने सामाजिक ताने-बाने, नवोन्मेषी सोच और शिक्षा व्यवस्था को लेकर सोशल मीडिया हैंडल्स पर विगत कई वर्षो में सैंकड़ों आलेख लिखे हैं उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए आपने युवा शक्ति के आरम्भिक जीवन के भटकावों और उनसे उपजे परिणामों को लेकर विस्तृत विवेचन किया है साथ ही इन डिस्ट्रक्शन को कम करने के उपाय सुझाए हैं। यह प्रयास किया गया है कि कोई कैसे अपनी जिंदगी की संभावनाओं को लिमिटेड से अन-लिमिटेड कर सके। लेखक का मानना है कि दायरों में सिमटी ज़िंदगी को अन-लिमिटेड ज़िंदगी में तब्दील करने के लिए यह पुस्तक कारगर साबित होगी।
अन-लिमिटेड ज़िंदगी
"अनलिमिटेड ज़िंदगी" नामक पुस्तक के जरिए लेखक युवा वर्ग की समस्याओं को संबोधित करते हुए उनके उचित समाधान के उपाय भी सुझाए हैं। लेखक स्वयं शिक्षा विभाग में 18 सालों से शिक्षण कार्य कर रहे हैं ऐसे में विद्यार्थी जीवन को बेहद करीब से महसूस किया है साथ ही
अन-लिमिटेड ज़िंदगी
"अनलिमिटेड ज़िंदगी" नामक पुस्तक के जरिए लेखक युवा वर्ग की समस्याओं को संबोधित करते हुए उनके उचित समाधान के उपाय भी सुझाए हैं। लेखक स्वयं शिक्षा विभाग में 18 सालों से शिक्षण कार्य कर रहे हैं ऐसे में विद्यार्थी जीवन को बेहद करीब से महसूस किया है साथ ही