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हिन्दी-दिवस

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किसकी कमी जो मै लिखूंगा कौन सी गाठ पड़ गया जो कलम की स्याही बनकर उतर रहा है । अपूर्णता का भाव या अतीत का दमन जो नासूर बनकर उभरता तराजू सन्तुलन में नही किसी एक तरफ झुका रहता था बाजार में

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असम्भव से सम्भव तक का सफर आसान न था । प्रजा की रक्षा और अपने ही लोगो से लड़ना, रंक से राजा तक का सफ़र आसान न था ।  असम्भव---------------------------------------। भूखा रहकर कठिन परिश्रम किए,

    अब माथे की तकदीर नहीं , तस्वीर बोलती है    अब सच नहीं, साहब झूठ की तोती बोलती है     रहा होगा कभी जमाना पाप पुण्या धर्म आस्था का    अब तो राजनीति का धर

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स नः पितेव सूनवेऽग्ने सूपायनो भव । सचस्वा नः स्वस्तये॥ हे गार्हपत्य अग्ने ! जिस प्रकार पुत्र को पिता (बिना बाधा के) सहज ही प्राप्त होता है, उसी प्रकार आप भी (हम यजमानों के लिये) बाधारहित होकर

राजन्तमध्वराणां गोपामृतस्य दीदिविम् । वर्धमानं स्वे दमे॥ "  हम गृहस्थ लोग दीप्तिमान्, यज्ञों के रक्षक, सत्यवचनरूप व्रत को आलोकित करने वाले, यज्ञस्थल में वृद्धि को प्राप्त करने वाले अग्निदेव के नि

आधार  छंद  प्रदीप  गीतिका  मात्रा  भार  १६+१३ =२९   चाल ==चौपाई +दोहा का   विषम  चरण ] शीर्षक ==भारत  की पहचान   धर्म  सनातन  ज्ञान  पुरातन ,भारत  की पहचान  हैं  l चार वेद की   गौरव  गाथा , बोध  

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अ॒ग्निः पूर्वे॑भि॒र्ऋषि॑भि॒रीड्यो॒ नूत॑नैरु॒त। स दे॒वाँ एह व॑क्षति॥  ( ऋग्वेद मंडल १, सूक्त १, मंत्र २ ) प्रथम मंत्र में अग्नि की स्तुति क्यों करनी चाहिए, यह बताया गया था। द्वितीय मंत्र में उक्

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ऋग्वेद को प्रथम वेद माना जाता है। ऋग्वेद में विभिन्न देवी–देवताओं के स्तुति संबंधित मंत्रों का संकलन है।  ऋग्वेद के मंत्रों का प्रादुर्भाव भिन्न-भिन्न समय पर हुआ। कुछ मंत्र प्राचीन हैं और कुछ आध

अगर तुम हमसे नाराज नहीफिर  खफा खफा से क्यो होकह दो जो भी कहना है तुमकोनही कुछ कहना तो फिर चुप क्यों हो। हुई है गर हमसे कोई नादानियाँनादान समझ कर दुलार कर दोदिल की आवाज को समझे हम कैसेऐसा कोई

हिन्दी में न कोई भेदभाव हैन कोई अक्षर है असमानन बड़ा न कोई छोटा है होतासारे अक्षर होते हैं एक समान।आधे अक्षर का न मान है कमदेता लेखन में योगदान है समपूरे अक्षर का पूरक बनकरभाषा सुन्दर बनती है हरदम।न को

हर भारतीय की शक्ति है हिन्दीसहज सरल अभिव्यक्ति है हिन्दीन परिचय की मोहताज़ है हिन्दीभाषाओं की सरताज़ है हिन्दी।जन जन की आवाज़ है हिन्दीमीठे सुर की साज़ है हिन्दीसात सुरों की ताज है हिन्दीहम सबकी ये नाज़ है

हिन्दी मेरे मन के भावों की अभिव्यक्ति है।हिन्दी मेरी राजभाषा और मेरे देश की शक्ति है।हर भारतीय के दिल और जान में बसती है। हिंदी मेरे देश की पहचान जन-जन की भक्ति है।।हिन्दीभाषी देशों में पहचान दिल

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। क्योंकि भारत मे अधिकतर क्षेत्रों में ज्यादात

हिंदी भाषा को हमारे देश, भारत, की राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी जाती है, और हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन महात्मा गांधी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो कि हिंदी क

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कुछ वर्षों पहले जयपुर गया था । क्योंकि यात्रा पूर्व-निर्धारित न होकर अकस्मात् थी इसलिए कोई भी होटल बुक नहीं किया हुआ था ।   रेलवे स्टेशन पर बैठ कर मोबाइल पर किसी होटल की अच्छी लोकेशन देखकर बुक करने

  चुनाव में दल बल होता है, आपदा में सुनपट्ट होता है, चुनाव में पूरी टीम होती है, आपदा में कोई नहीं दिखता है। चुनाव में दारू की बोतलेकोने कोने पहॅुच जाते हैआपदा में एक पान

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थकती हैं संवेदनाएँ जब तुम्हारा सहारा लेता हूँ, निराशा भरे पथ पर भी तुमसे ढाढ़स ले लेता हूँ, अवसाद का जब कभी उफनता है सागर मन में मैं आगे बढ़कर तत्पर तेरा आलिंगन करता हूँ, सिकुड़ता हूँ शीत म

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समाहित जिसमे संसार और भारत की शान हम हिन्द हिन्दी हमारी जान। बड़ी मीठी प्यारी हमारी भाषा कितने सितारे जन्मे महान हम हिन्द हिन्दी हमारी जान । सभी कलाओ का पहचान कराती भारत की राष्

अपनों में अपनों से तिरस्कृत, इसी व्यथा में जीती हिंदी भाषा पुरातनों से मिली तू स्वर्ण धरोहर,छोड़ तुझे अपनाएं पीतल और कासा पाठ्यक्रमों में भी खूब पढ़ाए, अंग्रेजी जिंगल बेल पहेली&nbs

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  परिचय:  हिंदी दिवस, जिसे हिंदी दिवस के नाम से भी जाना जाता है, भारत में हर साल 14 सितंबर को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन ऐतिहासिक महत्व रखता है क्योंकि यह राष्ट्र की आधिक

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