एकात्म मानववाद: एक समग्र दृष्टिकोणएकात्म मानववाद (Integral Humanism) एक दार्शनिक विचारधारा है, जिसे भारतीय विचारक और जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने प्रस्तुत किया था। यह विचारधारा भारतीय स
एकात्म मानववादसाधारण जीवन का अद्भुत सार,हर हृदय में हो समान विचार।एकात्मता का संदेश जगाए,मानव में मानवता भर जाए।न कोई बड़ा, न कोई छोटा,सब में हो समभाव का मोती।जीवन का उद्देश्य हो महान,सर्वजन हिताय, सर
एकात्म मानववाद ! (विश्लेषणात्मक आलेख)परिचय :- एकात्म मानववाद भारतीय दर्शन और राजनीतिक विचारधारा का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है, जिसे भारतीय जनसॅंघ के सॅंस्थापक पॅंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने 1965
पं. दीनदयाल उपाध्याय का बचपन बहुत ही विकट स्थितियों में बीता, तो भी वे सदैव एक मेधावी छात्र के रूप में रेखांकित हुए। द्वि-राष्ट्रवाद की छाया ने जब भारत की आजादी की लड़ाई को आवृत्त कर लिया था, तब 1942
शहर के व्यापार संगठन के अध्यक्ष किशन चंद जी के बेटे का चयन आईपीएस ऑफिसर के पद पर हो गया था। किशन चंद की पत्नी निर्मला देवी ने मंन्नत मॉगी थी कि यदि उनके बेटे का चयन हो जाता है तो वह मंदिर में ब
अनम इब्राहिम 7771851163 रौशन हुआ सवेरा खुल गई पलकें। ये वक़्त एक अँधेरे और उजाले का दरमियानी हिस्सा है। हवा भी ताज़ा तरीन है मौसम के मिज़ाज़ भी कुछ नये है हल्लागुल्ला भी खामोशियों में गूम है सांसों
-सत्य को समझें नही सत्य की राह से भटक रहा है, सत्य की खोज को मुकर रहा है। चकाचौंध में भेंड़चाल चल रहा है, जीवन क्या है!नहीं समझ रहा है। रिश्तों को भी नोटों से गिन रहा है, अपनों को पराया
आज मैं अगर बात करूं, जब एक कन्या संतान माँ के गर्भ मे होती है। तभी से उस संतान को अपने जीवन को बचाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। क्योंकि कोई भी समाज का व्यक्ति कभी भी गर्भवती महिला जोकि गर्भ से
आज मैं अगर बात करूं, जब एक कन्या संतान माँ के गर्भ मे होती है। तभी से उस संतान को अपने जीवन को बचाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। क्योंकि कोई भी समाज का व्यक्ति कभी भी गर्भवती महिला जोकि गर्भ से
एक स्त्री की पीड़ा को समझना क्या किसी के वश में नहीं है, या कोई इसे समझना ही नहीं चाहता है। वह चाहे एक पुत्री के रूप में, बहन के रूप में, पत्नी के रूप में अथवा माँ के रूप में हो। हर जगह वह अपने मन
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास पूर्वक देश में मनाया जा रहा है।सन 2024 में हम 75 वाँ गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। 26 जनवरी सन 1950 को हमारा गणतंत्र लागू हुआ था। 15 अगस्त 1947 को ह
" वायविन्द्रश्च सुन्वत आ यातमुप निष्कृतम् । मक्ष्वित्था धिया नरा । " हे वायुदेव ! हे इन्द्रदेव ! आप दोनों बड़े सामर्थ्यशाली हैं। आप यजमान द्वारा बुद्धिपूर्वक निष्पादित सोम के पास अति श
हे अग्नि देव तुम्हें नमन हो हो यज्ञ के पुरोहित तुम हो हवि साधन दान के धन हो देवों के आवाहन तुम हो यज्ञ फल रत्न धारक भी हो हे अग्नि देव तुम्हें नमन हो ज्ञानार्जन करते वो ऋषि हैं ज्ञान दान