अहसास..!
हर संघर्ष को जीवन के, भीतर भीतर क्यों पाला जाए..कभी तो रूह को कलम थमा, उसे शब्दों में भी ढाला जाए..बस बाहर ढूँढने भर से, कुछ न हो जब हासिल.. खुद को भी देखा जाए, कभी भीतर भी तो खंगाला जाए.. जब हारने लगे मन, और टूटने लगे उम्मीदें..खुद तो संभला ही जाए, औरो को भी संभाला जाए..कल रात खुदा ने, एक गुफ्तगूँ