शब्दों के अँधियारे में..!
शब्दों के अँधियारे में, जो देखा होके मौन,मन अँधियारा मिट गया, दीखा कैसा कौन ||राह कई उलझन कई, है अनगिनत विकल्प दिशा नजर आने लगी, साधा जब संकल्प ||सम्पूर्ण जीवन अनवरत, नित नूतन संघर्षआस्था भीतर में हो, संघर्ष बनें सब हर्ष ||आगे की चिंता किसलिए, क्यों अतीत से युद्धचिंता कोई भी ना टिके, रहे जो चिंतन शु