न तलवार चलानी है न हथियार उठाने है
नारी को नारी के संग बस चाल मिलानी है
न धरने करने है न अनशन करने है
नारी को नारी के संग आवाज़ मिलानी है
वो सास जो लडती थी जो बहु जलाती थी
नारी को नारी के संग वो सास हटानी है
कोमल नारी की कोमलता बचानी है
नारी को नारी की बस पहचान दिलानी है