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नज़रिया:दोस्ती को जीवंत बनाए रखने के लिए दोस्ती की डोर थामे रखना ज़रूरी है

नितीन गाभे

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दोस्त हमारी ज़िंदगी में वह शख़्स होता है, जिसे हम चुनते हैं। ऐसा परिवार, जो हमें जन्म से नहीं मिलता, बल्कि जो उम्र के किसी पड़ाव पर हम से टकराता है और हमारी ज़िंदगी का अनमोल हिस्सा बन जाता है। दोस्त वह है, जो हमारी हंसी में खिलखिलाहटें देता है और मुश्किल वक़्त में सब्र। लेकिन, वक़्त की भागदौड़ में कई मर्तबा दोस्ती फीकी पड़ने लगती है। हम महसूस करने लगते हैं कि दोस्ती में अब पहले-सी बात नहीं रही। कई मर्तबा कॅरियर के लिए हम दूर हो जाते हैं, तो कई बार दोस्तों की शादी के बाद वे मसरूफ़ हो जाते हैं। दूर रहते हुए भी हम ऐसा क्या करें कि दोस्ती की मिठास कम न हो।  अव्वल, दोस्त की परिस्थितियों को समझें। गर मित्र ने लम्बे समय से आपसे बात नहीं की है और आपको महसूस होता है कि हमेशा आप ही उससे बात करने की पहल करते हैं, तो ऐसे में उसकी परिस्थितियों को समझने का प्रयास करें। हो सकता है कि वो वाक़ई बहुत व्यस्त हो या चाहकर भी वक़्त नहीं निकाल पा रहा हो। इसलिए मन में कुछ ग़लत लाए बिना, गाहे-बगाहे उसे एहसास दिलाते रहें कि आप हमेशा उसके साथ हैं। चाहे कितना भी दूर रहें।  कई मर्तबा शादी के बाद भी दोस्ती पहले जैसी नहीं रह पाती। मेल-मिलाप के लिए समय नहीं मिलता और धीरे-धीरे दोस्ती में वैसी घनिष्ठता नहीं रहती। ज़ाहिर तौर पर विवाह के बाद महिलाओं की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं, लेकिन ज़िंदगी में दोस्तों की भी अपनी अहमियत है।  उम्र के हर पड़ाव पर उन्हें अहमियत दें। दोस्त/सखी को अपने पति/पार्टनर से मिलवाएं, जिससे वे एक-दूसरे के साथ सहज हो सकें। इससे आपसी मित्रता बढ़ेगी और आप सब साथ में घूमने-फिरने की भी योजना बना सकते हैं। किसी ख़ास दिन या त्योहार के मौक़े पर घर बुला लें। यदि मुलाक़ात मुमकिन न हो, तो कम से कम फोन पर बातचीत बनाए रखें।  सम्भव है कि आपने उसे मैसेज भेजा हो और उसे जवाब देने में बहुत वक़्त लग गया हो। आपकी मुलाक़ात और बातचीत कम होती हो, लेकिन इससे यह क़तई ज़ाहिर नहीं होता कि आपकी दोस्ती पहले जैसी नहीं रही। मुलाक़ातें भले ही कम हों, एक-दूसरे के लिए भाव वैसे ही हों, यह ज़रूरी है। हां, कभी-कभी मौक़ा मिलने पर एक-दूसरे से मिलने का समय ज़रूर निकाल लेना चाहिए। एक-दूसरे के घर चले जाएं या बाहर किसी कॉफ़ी शॉप पर मिल लें। इससे दोस्ती को नई ऊर्जा मिलेगी।  सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करें। सोशल मीडिया के ज़रिए आप स्कूल-कॉलेज के पुराने दोस्तों से सम्पर्क में रह सकते हैं। वॉट्सएप पर ग्रुप बना लें या फेसबुक मैसेंजर पर मैसेज भेज दें। दोस्त के काम, परिवार और दूसरी चीज़ों के बारे में पूछते रहें, ताकि यह एहसास बना रहे कि आप उसे याद करते हैं। जब चाहें, वीडियो कॉल्स की मदद से आप दूर रहते हुए भी वही पुरानी नज़दीकी महसूस कर सकते हैं।  एक-दूसरे से ऐसे वीडियोज़, फोटोज़ या लिंक्स साझा करें, जो आप दोनों की हॉबीज़ या पैशन से जुड़े हों। जैसे, अगर आप दोनों को ही संगीत, साहित्य, कविता, नृत्य, चित्रकला आदि में रुचि है तो इससे जुड़े मैटेरियल्स भेजते रहें। इससे आपकी उस क्षेत्र में रुचि तो बढ़ेगी ही, साथ ही दोस्त से होने वाली बातों में बहुत कुछ नया शामिल होगा। किसी नए टीवी शो, किताब, घूमने की जगह के बारे में भी बातचीत कर सकते हैं।  दोस्त अगर घर से कहीं दूर रहता है या किसी दूसरे शहर में रहता है तो दूरी में प्रेम बढ़ाने की सम्भावनाएं तलाशें। दूर रहने की स्थिति में आप रोज़मर्रा की मुलाक़ातों के बजाय किसी ख़ूबसूरत जगह पर हॉलिडे या ट्रिप के लिए जा सकते हैं। इससे आपके बीच यदि दूरियां हैं भी, तो ख़त्म हो जाएंगी।  जब भी आपकी ज़िंदगी में कुछ नया और विशेष हो तो उससे साझा ज़रूर करें। इससे उसे नज़दीकी का एहसास होगा। आपको कहीं से भी मालूम पड़े कि दोस्त किसी मुश्किल दौर में है, तो मदद के लिए ज़रूर बढ़ें। ये न सोचें कि उसने तो आपको बताया ही नहीं। बल्कि उसे एहसास कराएं कि उसकी किसी भी किस्म की मदद करके आपको ख़ुशी ही होगी।  जब मित्र आपको फोन करे, तो उदासीन या उबाऊ लहज़े में बात करने से बचें। उत्साह और ख़ुशी से लबरेज़ होकर बात करें। यदि वह आपसे किसी परेशानी का जि़क्र करे या दुखड़ा साझा करे, तो तसल्ली से सुनें। किसी नतीजे पर पहुंचने की जल्दी में नहीं रहें। हालात को पूरी तरह समझने के बाद ही कोई सलाह दें। अक्सर लोग सिर्फ़ अपनी बात सुनाना चाहते हैं किसी और की सुनना नहीं। ऐसे में सामने वाले को लगता है कि आप उसकी बातों में दिलचस्पी नहीं ले रहे।  विवाह को साल बीत गए हैं और दोस्त से बातचीत काफ़ी कम हो गई है तो ज़रा पुरानी फिल्मों को याद करें, जहां चिट्ठियों के ज़रिए कितना कुछ कहा जाता था। दोस्त अगर दूर है, तो अपनी भावनाओं से भरा ख़त आप डाक के ज़रिए भेज सकते हैं या मेल कर सकते हैं। प्यार से लबालब आपका ख़त पढ़कर उसे जो ख़ुशी हासिल होगी, वह किसी भी तोहफ़े से बढ़कर है।  दोस्त के जन्मदिन या किसी और ख़ास दिन पर उसे बधाई देना न भूलें। हां, अगर तोहफ़ा भेजना चाहते हों तो वो भी भेज सकते हैं। ज़रूरी नहीं है कि कुछ ख़रीदकर ही भेजें। आप पुरानी फोटोज़ का कोलाज या कुछ ऐसा भी भेज सकते हैं, जिसे देखकर बीते दिनों की ख़ुशनुमा यादें फिर ताज़ा हो जाएं। अक्सर लोग फोन करने में भी कंजूसी करते हैं, ये सोचकर कि सामने वाले ने उन्हें उनके जन्मदिन पर फोन नहीं किया था।  बरसों का अंतराल या जगह की दूरियां दोस्ती का गाढ़ापन कम नहीं कर सकतीं। जब भी मिलें, ऐसा नहीं सोचें कि इतने समय में सब कुछ बदल गया है। दोस्त दोस्त ही होते हैं। उनसे वैसे ही अनौपचारिकता से मिलें, जैसे हमेशा मिलते थे। देखिएगा, एक बार यदि आपने फिर हाथ बढ़ा लिया, तो दोस्त भी गले लगाने में वक़्त नहीं लगाएगा।  

najariya dosti ko jivant banaye rakhne ke liye dosti ki dor thame rakhna jaruri hai

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