अदम्य अतुल साहस है जिनका,
और प्रचंड सिंह सी हुँकार,
रक्त रक्त में रोपित जिनके,
मातृ भूमि का प्रेम अनुराग,
जिनकी शौर्य गाथा से अब तक
गूँज रहा हिमवन गिरिराज,
और तिरंगा दमक रहा बन,
माँ भारती का स्वाभिमान ।
बहता है निज उर में जिनके
देश प्रेम का लहू प्रगाढ़
कंपित हो उठता है गिरिवर
सुन जिनका विजय घोष अगाध
श्वासें जिनकी पवन वेग सी
रक्षण करती सीमा तट पर,
प्राण निछावर कर देते है
वो अपनी इस मातृभूमि पर,
शत दीप बन वो जल रहे,
दैदीप्य कर रहे माँ की द्युति
है कोटि नमन मेरा उनको,
आर्यव्रत के प्रहरी तुमको ..🌸🌿🙏