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सुप्रभात

4 अक्टूबर 2021

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भोर हुई जब पूरब से नव अर्क लिए नव प्राण लिए,
कोमल शीत बयार चले नव तेज लिए नव जोश लिए
जाग उठो तुम भी अब मानव, ओज भरा मन साथ लिए,
पाद उठे जब जोश भरा, तब मार्ग मिले बिन भीत लगे ॥

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