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पत्रिका समीक्षा

10 अप्रैल 2015

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(सृजन क्षेत्र में विमर्श केंद्रित अंतरराष्ट्रीय मासिक ई पत्रिका ‘जनकृति’) ‘जनकृति’ विमर्श केंद्रित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका है. सृजन के प्रत्येक क्षेत्र कविता, नवगीत, कहानी, लघु कथा, व्यंग्य, नाटक, सिनेमा, रंगमंच, आलोचना, समीक्षा में विमर्श को स्थापित करने के उद्देश्य से इस पत्रिका को निकाला जा रहा है. इसके अतिरिक्त पत्रिका में कई विमर्श स्तंभ है जैसे शोध विमर्श, बाल विमर्श, लोक विमर्श, सिने विमर्श, रंग विमर्श, स्त्री विमर्श, दलित एवं जनजाति विमर्श, भाषिक विमर्श, शिक्षा विमर्श एवं सम्पूर्ण विश्व में हिंदी के विकास हेतु हो रही गतिविधियों के लिए हिंदी विश्व नाम से स्तंभ रखा गया है. हम सृजन क्षेत्र से जुड़े सभी सृजनकर्मियों का पत्रिका में स्वागत करते हैं एवं आशा करते हैं कि आप विमर्श की दृष्टि से सार्थक लेखन की दिशा में हमारा सहयोग करेंगे. यह पत्रिका जहाँ एक ओर विश्व पटल पर सृजन क्षेत्र के प्रमुख हस्ताक्षरों को प्रस्तुत करती है वहीं दूसरी ओर सृजन क्षेत्र में कदम रख रहे नव लेखकों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मंच भी प्रदान करती है. आप सभी सृजनकर्मियों के सहयोग एवं मार्गदर्शन से यह पत्रिका आगे भी अपने उद्देश्यों को लेकर कार्य करती रहेगी. धन्यवाद! (कुमार गौरव मिश्रा) संपादक 9503117270 आलेख एवं रचनाएँ भेजने का पता - Email- jankritipatrika@gmail.com, पत्रिका संबंधी अन्य जानकारी एवं सदस्य बनने हेतु विजिट करें- Website-http://jankritipatrika.blogspot.in/ Facebook- jankriti patrika परामर्श मंडल सुधा ओम ढींगरा (अमेरिका),प्रो. सरन घई (कनाडा), अनिल जनविजय (रूस), राज हीरामन (मॉरीशस), प्रो. चौथीराम यादव (उत्तर प्रदेश), डॉ. हरीश नवल (दिल्ली), डॉ. हरीश अरोड़ा (दिल्ली), प्रेम जन्मेजय (दिल्ली), प्रो.जवरीमल पारख (दिल्ली), पंकज चतुर्वेदी (मध्य प्रदेश), प्रो. रामशरण जोशी (दिल्ली),डॉ. दुर्गा प्रसाद अग्रवाल (राजस्थान), पलाश बिस्वास (कोलकाता), कैलाश कुमार मिश्रा (दिल्ली), शैलेन्द्र कुमार शर्मा (उज्जैन), ओम पारिक (कोलकाता), निसार अली (छत्तीसगढ़), संपादक कुमार गौरव मिश्रा सह-संपादक जैनेन्द्र (दिल्ली), कविता सिंह चौहान (मध्य प्रदेश) उप संपादक राकेशधर द्विवेदी (मध्य प्रदेश) संपादन मंडल बी.एस. मिरगे (महाराष्ट्र), मनीष कुमार जैसल (उत्तर प्रदेश), संजय शेफर्ड (दिल्ली), अभिषेक त्रिपाठी (उत्तर प्रदेश), डॉ. श्याम कुंवर भारती (झारखंड), दानी कर्माकार (कोलकाता), पूजा पवार (हैदराबाद), बिमलेश पाण्डेय (बिहार), ज्ञान प्रकाश (दिल्ली), शिव कुमार (उत्तर प्रदेश), राजीव (दिल्ली), पूजा गुप्ता (कोलकाता) कला संपादक/ आवरण सज्जा आशीष यादव (उत्तर प्रदेश) सहयोगी निलय उपाध्याय (मुंबई, महाराष्ट्र) मुन्ना कुमार पाण्डेय (दिल्ली) अविचल गौतम (वर्धा, महाराष्ट्र) महेंद्र प्रजापति (उत्तर प्रदेश) विदेश प्रतिनिधि ओल्या गपोनवा (रशिया) सोहन राही (यूनाइटेड किंगडम) पूर्णिमा वर्मन (यूएई)

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10 अप्रैल 2015
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स्त्री चिंतन परम्परा की प्रासंगिकता एवं सामाजिक परिप्रेक्ष्य डॉ. वीरेन्द्र सिंह यादव

10 अप्रैल 2015
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स्त्री चिंतन परम्परा की प्रासंगिकता एवं सामाजिक परिप्रेक्ष्य डॉ. वीरेन्द्र सिंह यादव भारतीय संस्कृति अपनी विशिष्ट पहचान के कारण सदैव विश्व के लिए आदरणीय एवं वन्दनीय रही है। प्राचीन भारत की लोक कल्याणकारी भाईचारे और समन्वय की भावना ने विश्व को शान्ति, समता और अंहिसा

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