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पगडंडी में पहाड़ (Pagdandi Me Pahad)

जे.पी. पाण्डेय

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22 मई 2023 को पूर्ण की गई
ISBN : 9789354913136
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हिमाच्छादित पहाड़ की छटा, उनमें उमड़ते-घुमड़ते मखमली बादल, दूर तक कल-कल करते झरनों-सरिताओं के स्वर, देखने-सुनने में जितने मनमोहक होते हैं, वहाँ का जीवन उतना ही कठिन होता है। कभी भूस्खलन तो कभी बादल फटने जैसी घटनाएँ आमतौर पर देखी जाती हैं। सुख-सुविधाओं की पहुँच पहाड़ों में अत्यंत दुर्लभ है। ऐसे स्थानों में पर्यटन का रोमांच अपने आप में चुनौतीपूर्ण, आनंददायक और कौतूहलपूर्ण होता है। लेकिन एक लेखक जब ऐसे स्थानों पर भ्रमण करता है तो वह न केवल पहाड़ों की बसावट और खूबसूरती को कलमबद्ध करता है, बल्कि वह वहाँ के दर्शन को भी सबके सामने लाने का प्रयास करता है। इसी तरह के शब्द-चित्र इस पुस्तक में लेखक द्वारा उकेरे गए हैं। वह दुर्गम और नितांत स्थानों में विचरण करते हुए अपने यात्रा-वृत्तांत को आगे बढ़ाते हैं और पहाड़ों की रानी मसूरी से लेकर झड़ीपानी फॉल, परी-टिब्बा होते हुए चारधाम की मानसिक यात्रा का सहयात्री अपने पाठकों को भी बनाते हैं। 

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“पगडंडी में पहाड़” जे पी पाण्डेय द्वारा रचित एक यात्रा वृतांत है जिसमें उत्तराखंड के सुरम्य पर्वतीय अंचलों, पहाड़ों, झरने, उछलते कूदते नदी नाले, वहां के सीधे साधे लोगों की कहानी है । हिमालय प्रारम्भ से ही मानव सभ्यता एवं संस्कृति का उद्गगम रहा है । मानव के मान अभियान एवम दर्प को चूर्ण करने वाला हिमालय प्रकृति की श्रेष्ठतम कृति है । हिमालय देखने में जितना विशाल है यह उतना ही शीलवान, सुकोमल, सुंदर एवम मानव के दिलों को सबसे ज्यादा लुभाने वाला है । इसने मानवीय सभ्यताओं को विकसित करने के साथ उसके मनोभावों को जागृत करने का सबसे बड़ा उपक्रम रहा है । हिमालय की वादियों का एक-एक पत्थर, चट्टान बोलता है । चीड़ देवदार के पेड़ों की प्रत्येक पत्ती शरारत करती है और इसकी हरियाली आपमें प्राण डाल देती है । झरने गीत गाते है, हवाएं संगीत देती है, पुष्प मुस्कराते है और विस्तृत फैली वादियाँ बाहें फैलाये सदियों से न जाने किसका इंतजार कर रही है । इन पर्वतों की कंदराओं में तो जीवन बिताया जा सकता है । न जाने कितनी सदियों का साक्षी ये कंकड़ पत्थर हमसें बात करना चाहते है । आवश्यकता है कि जीवन की भागदौड़ से कुछ पल चुराकर इनके साथ गुजारा जाए, इनसे बात की जाए ।

पुस्तक की झलकियां

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