आज पिता के लिए कुछ खास लिखूंगी
जो महसूस किया है वह एहसास लिखूंगी
आज जमाने की नहीं
पापा ने जो किया है वह इतिहास लिखूंगी
मन लिखूंगी जज्बात लिखूंगी
कहते थे जो पापा वो बात लिखूंगी
प्यारा दिन प्यारा रात लिखूंगी
हर दर्द हर खुशी में दिया साथ लिखूंगी
वही गलियां वही चौराहे लिखूंगी
वही झूला वही बाहें लिखूंगी
देखकर मुस्कुरा देती थी जो
वही बुलंद निगाहें लिखूंगी
वही अरमान वही जहान लिखूंगी
बचपन में देखीं थीं जो वह आसमान लिखूंगी
बैठ कर घूमी जिन कंधों पर
आज उसी कंधे की पहचान लिखूंगी