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प्रियांशु कुशवाहा के बारे में

साथियों नमस्कार। इस पटल पर आपका हार्दिक स्वागत है। मैं मध्यप्रदेश की विन्ध्य की पावन धरा सतना जिले के मरौहां ग्राम का निवासी हूं, मैनें शहर की केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक.1 से उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर अमर शहीद पद्मधर सिंह शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एम. ए. हिंदी साहित्य से पूर्ण किया। साहित्य के प्रति अनुराग मुझे विरासत में अपनें पिताश्री से प्राप्त हुआ। मेरी लगभग संपूर्ण कविताएँ समसामायिक विधा पर रहती हैं। वर्तमान समय की परिस्थितियों में जो देखता हूं, उन्हीं को शब्दों की माला बना कर कविता में ढालने का प्रयास करता हूं। मेरे ब्लाग में मेरे इन्हीं छोटे-छोटे प्रयासों का एक संकलन है साथ ही इस ब्लाग के माध्यम से बघेली एवं हिंदी के महनीय कवियों की कविताओं के वीडियो भी प्रस्तुत करने का प्रयास करूँगा। एक नया प्रयास यह भी है कि समसमायिक गतिविधियों पर लेख , व्यंग्य एवं वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए उस विषय पर कुछ रचनाएँ पेश कर सकूँ। आप सबकी महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया बताएगी कि मैं अपने इस कार्य में कितना सफल हुआ हूं। आपके स्नेह का इंतज़ार रहेगा।

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प्रियांशु कुशवाहा की पुस्तकें

प्रियांशु कुशवाहा के लेख

बघेली कविता - ' फलाने सोबत हें '

28 फरवरी 2024
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फलाने सोबत हें :- करा न तुम परेशान, फलाने सोबत हें, होइके खूब मोटान, फलाने सोबत हें। हबाई-जहाज मा घूमैं वाले का जानैं, मरथें रोज किसान, फलाने सोबत हें। होइगें अठमां फेल, बने तउ नेताजी, पेल

बघेली कविता

28 फरवरी 2024
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 ' आमैं लाग चुनाव '     हरबी हरबी रोड बनाबा, आमैं लाग चुनाव, चुपर-चुपर डामर पोतबाबा, आमैं लाग चुनाव।  बहिनी काहीं एक हज़ार है, भइनें काहीं लपकउरी, जीजौ का अब कुछु देबाबा, आमैं लाग चुनाव। जनता का

बघेली कविता

28 फरवरी 2024
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 बघेली कविता -  जउने दिना घर मा महतारी नहीं आबय, जानि ल्‍या दुअरा मा ऊजियारी नहीं आबय ।  जउन खइथे अपने पसीना के खइथे, हमरे इहाँँ रासन सरकारी नहीं आबय ।  ठाढ़ के मोगरा टेड़ कइके देखा ,  बेस

जीवनभर अभिलाषा रखना

28 फरवरी 2024
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जीवनभर अभिलाषा रखना, जीवनभर अभिलाषा रखना, यानी खूब निराशा रखना। हँसना रोना चांँद की खातिर, तुम भी यही तमाशा रखना। प्रेम गीत के हर पन्‍ने पर, खूब विरह की भाषा रखना। जिसकी तुमसे प

जाने कितने धंधे होते

28 फरवरी 2024
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जाने कितने धंधे होते जाने कितने धंधे होते, कुछ अच्‍छे, कुछ गंदे होते। जिन‍की भूख ग़रीब का खाना, वो सारे भिखमंगे होते। झूठ को देखे और न बोलें, जो गूँगे और अंंधे होते। बुरा भला न बोलो उनको, जिनक

बढ़ बटोही

28 फरवरी 2024
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लक्ष्‍य के सोपान पर तू चढ़ बटाेही, बढ़ बटोही ।। व्‍योम को जा चूम ले, जग ये सारा घूम ले। कर दे विस्‍मृत हर व्‍यथा को, मग्‍न होकर झूम ले। जा वि‍पिन में रास्‍तों को, तू स्‍वयं ही गढ़ बटोही। 

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