' आमैं लाग चुनाव '
हरबी हरबी रोड बनाबा, आमैं लाग चुनाव,
चुपर-चुपर डामर पोतबाबा, आमैं लाग चुनाव।
बहिनी काहीं एक हज़ार है, भइनें काहीं लपकउरी,
जीजौ का अब कुछु देबाबा, आमैं लाग चुनाव।
जनता का अपने गोड़े के, पनहीं अस त मनत्या है।
वोट के खातिर तेल लगाबा, आमैं लाग चुनाव।
चार साल तुम चून लगाया, पचएँ माहीं कहत्या है,
फूल के सउहें बटन दबाबा, आमैं लाग चुनाव।
जनता आपन काम छाड़िके, लबरी सुनैं क ताके ही,
तुम निसोच रैली करबाबा, आमैं लाग चुनाव।
सालन से अंधियारे माहीं, रहिगें जे मनई भइलो,
उनखे घर झालर तुतुआबा, आमैं लाग चुनाव।
- प्रियांशु कुुशवाहा 'प्रिय'
सतना ( म.प्र.)