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बघेली कविता

28 फरवरी 2024

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 ' आमैं लाग चुनाव '    

हरबी हरबी रोड बनाबा, आमैं लाग चुनाव,

चुपर-चुपर डामर पोतबाबा, आमैं लाग चुनाव। 

बहिनी काहीं एक हज़ार है, भइनें काहीं लपकउरी,

जीजौ का अब कुछु देबाबा, आमैं लाग चुनाव।

जनता का अपने गोड़े के, पनहीं अस त मनत्या है।

वोट के खातिर तेल लगाबा, आमैं लाग चुनाव।

चार साल तुम चून लगाया, पचएँ माहीं कहत्या है,

फूल के सउहें बटन दबाबा, आमैं लाग चुनाव।

जनता आपन काम छाड़िके, लबरी सुनैं क ताके ही,

तुम निसोच रैली करबाबा, आमैं लाग चुनाव।

सालन से अंधियारे माहीं, रहिगें जे मनई भइलो,

उनखे घर झालर तुतुआबा, आमैं लाग चुनाव।

- प्रि‍यांशु कुुशवाहा 'प्रि‍य'  

        सतना ( म.प्र.)  

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मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सही लिखा है आपने सर 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा जरूर दें और लाइक भी करें 🙏🙏

2 मार्च 2024

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बढ़ बटोही

28 फरवरी 2024
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लक्ष्‍य के सोपान पर तू चढ़ बटाेही, बढ़ बटोही ।। व्‍योम को जा चूम ले, जग ये सारा घूम ले। कर दे विस्‍मृत हर व्‍यथा को, मग्‍न होकर झूम ले। जा वि‍पिन में रास्‍तों को, तू स्‍वयं ही गढ़ बटोही। 

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जाने कितने धंधे होते

28 फरवरी 2024
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जाने कितने धंधे होते जाने कितने धंधे होते, कुछ अच्‍छे, कुछ गंदे होते। जिन‍की भूख ग़रीब का खाना, वो सारे भिखमंगे होते। झूठ को देखे और न बोलें, जो गूँगे और अंंधे होते। बुरा भला न बोलो उनको, जिनक

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जीवनभर अभिलाषा रखना

28 फरवरी 2024
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जीवनभर अभिलाषा रखना, जीवनभर अभिलाषा रखना, यानी खूब निराशा रखना। हँसना रोना चांँद की खातिर, तुम भी यही तमाशा रखना। प्रेम गीत के हर पन्‍ने पर, खूब विरह की भाषा रखना। जिसकी तुमसे प

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बघेली कविता

28 फरवरी 2024
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 बघेली कविता -  जउने दिना घर मा महतारी नहीं आबय, जानि ल्‍या दुअरा मा ऊजियारी नहीं आबय ।  जउन खइथे अपने पसीना के खइथे, हमरे इहाँँ रासन सरकारी नहीं आबय ।  ठाढ़ के मोगरा टेड़ कइके देखा ,  बेस

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बघेली कविता

28 फरवरी 2024
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 ' आमैं लाग चुनाव '     हरबी हरबी रोड बनाबा, आमैं लाग चुनाव, चुपर-चुपर डामर पोतबाबा, आमैं लाग चुनाव।  बहिनी काहीं एक हज़ार है, भइनें काहीं लपकउरी, जीजौ का अब कुछु देबाबा, आमैं लाग चुनाव। जनता का

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बघेली कविता - ' फलाने सोबत हें '

28 फरवरी 2024
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फलाने सोबत हें :- करा न तुम परेशान, फलाने सोबत हें, होइके खूब मोटान, फलाने सोबत हें। हबाई-जहाज मा घूमैं वाले का जानैं, मरथें रोज किसान, फलाने सोबत हें। होइगें अठमां फेल, बने तउ नेताजी, पेल

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