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बढ़ बटोही

28 फरवरी 2024

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लक्ष्‍य के सोपान पर तू चढ़ बटाेही,

बढ़ बटोही ।।


व्‍योम को जा चूम ले,

जग ये सारा घूम ले।

कर दे विस्‍मृत हर व्‍यथा को,

मग्‍न होकर झूम ले।

जा वि‍पिन में रास्‍तों को,

तू स्‍वयं ही गढ़ बटोही। 

बढ़ बटोही........


गिरि‍ नहीं है न्‍यून है,

है कि जैसे शून्‍य हैै।

कष्‍ट हैै भयभीत जिससे,

हाँँ वो तेरा खून है। 

और लिख - लिख गीत पथ के,

खूब उनको पढ़ बटोही। 

बढ़ बटोही.........


✒ प्रियांशु ' प्रिय '

      सतना ( म. प्र. )  

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बढ़ बटोही

28 फरवरी 2024
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लक्ष्‍य के सोपान पर तू चढ़ बटाेही, बढ़ बटोही ।। व्‍योम को जा चूम ले, जग ये सारा घूम ले। कर दे विस्‍मृत हर व्‍यथा को, मग्‍न होकर झूम ले। जा वि‍पिन में रास्‍तों को, तू स्‍वयं ही गढ़ बटोही। 

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जाने कितने धंधे होते

28 फरवरी 2024
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जाने कितने धंधे होते जाने कितने धंधे होते, कुछ अच्‍छे, कुछ गंदे होते। जिन‍की भूख ग़रीब का खाना, वो सारे भिखमंगे होते। झूठ को देखे और न बोलें, जो गूँगे और अंंधे होते। बुरा भला न बोलो उनको, जिनक

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जीवनभर अभिलाषा रखना

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बघेली कविता

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