रिश्तों में अब वो पुराना प्यार ना नजर आता,
ना जाने कहां गई वो अपनों की मीठी रस सी भरी बोली,
ना बच्चों में दिखता है उल्लास न ही भाभियों की हसी ठिठोली,
सोचता हूं तो लगता है जैसे अब खो सी गई वो पुरानी वाली होली।
अरे ये होली जैसे त्यौहार भी अब कहां अच्छे लगते है,
जो डोर बांधती थी रिश्तों को वो धागे ही कच्चे लगते है,
अब बचपन कुछ ऐसे कैद हुआ हर घर की चारदीवारी में,
छिपकर आप पर रंग डालने वाले कहां वो बच्चे दिखते है।
पहले जो होली होती थी जरा तुम उसको तो याद करो,
खुद भी निकलो घर से बाहर बच्चों को भी आजाद करो।
और काम उम्र भर चलता है जरा अपनों पर भी ध्यान दो तुम,
होली का क्या महत्व है ये बच्चों को भी तो ज्ञान दो तुम।
बच्चों के संग रंग वाली और बड़ो के माथे पर वो रोली हो जाए,
चलो एक बार साथ मिल वही पुरानी वाली होली हो जाए।
Happy Holi