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Ashwani की डायरी

Ashwani की डायरी

रिश्तों में अब वो पुराना प्यार ना नजर आता, ना जाने कहां गई वो अपनों की मीठी रस सी भरी बोली, ना बच्चों में दिखता है उल्लास न ही भाभियों की हसी ठिठोली, सोचता हूं तो लगता है जैसे अब खो सी गई वो पुरानी सी होली। अरे ये होली जैसे त्यौहार भी अब कहां अच्छे ल

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Ashwani की डायरी

रिश्तों में अब वो पुराना प्यार ना नजर आता, ना जाने कहां गई वो अपनों की मीठी रस सी भरी बोली, ना बच्चों में दिखता है उल्लास न ही भाभियों की हसी ठिठोली, सोचता हूं तो लगता है जैसे अब खो सी गई वो पुरानी सी होली। अरे ये होली जैसे त्यौहार भी अब कहां अच्छे ल

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