कहानी घर घर की
माँ की कहानी 1
एक शहर में एक माँ और उसके 6 पुत्र और एक पुत्री थी। 4 पुत्रो और पुत्री की शादी हो चुकी थी। और 2 हे बाकि थे उसमे से एक की भी शादी हो गई। बड़े पुत्र के 3 बेटे और 1 बेटी थी । उससे छोटे का 1 पुत्र और 2 पुत्रियाँ थी। उसके निव्हे 2 भाइयो ले 2 - 2 बचे थे । और एक पुत्र का एक ही बेटा था। सभी साथ में रहते थे। बड़े बेटे ने एक घर बनाया और 2 भाई वह पर चले गए । वक भाई ने अपना अलग घर बना लिया और वो वह चला गया । 2 बेटे वह पर 10 साल रहे फिर उनमें से एक बेटे ने अपनी बड़ी कोठी बनायीं। अब उस घर में उन सबकी माँ अकेली रहती थी और उसे सुध भुद्ध भी नहीं थी मतलब वो अपने ही बच्चो को नाजी पहचानती थी और न हे उनके घर जाती और पुराने घर में हे रहती। उन सभी के बचचो की शादी हो गई थी । पर उन सभी में प्यार ख़तम हो गया था 2 हे भाई थे जो सभी को बुलाते थे बाकियो के बीच झगड़े के कारण बातचीत ख़तम हो गई थी सभी अपने में हे रहते थे । कोई एक दूसरे से बात भी नहीं करता था। न सामने न फ़ोन पर । बस पीठ पीछे बुराई हे करते । धीरे धीरे करके उनके रिश्तो में दरार आ गई और वो इतनी बढ़ गई की उस दरार को भरना मुश्किल था। ये झगड़े शुरू हुए बीएस एक साल हुआ है। अब आगे पता चले गए की इनके रिश्तो की दरार भरेगी या नहीं। इसका अगला पार्ट बाद में आये गा।
धन्यवाद्