उपन्यास की शुरुआत मृत्यु की कुछ ही फ़िलॉसफ़ी पन्ने हैं, और जैसे ही आप 10-15 पन्ने के आगे निकलेंगे मानव द्वारा पढ़ी जाने वाली नाय्या द्वारा लिखित उपन्यास कार्ल बुक से आपकी मुलाकात होंगी। जहां से आपको एक पढ़ने का मार्ग दिखने लगेगा।
कार्ल बुक नाय्या द्वारा लिखित अपने बेटे के लिए लिखा गया उपन्यास है। जिसमें कार्ल एक छब्बीस साल का युवा है। जो एक आर्टिस्ट है। लेकिन नशा करने के कारण वह एक दिन वह अपने कमरे की खिड़की से कूद जाता हैं। और अस्पताल में कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो जाती है। जिसे मानव पढ़ते हैं। इस उपन्यास को पढ़ने के बाद नाय्या के लिए मानव के मन में एक सिंपथी जन्म लेती है, जिसके कारण वह नाय्या को अपने सपने में देखते हैं।
मानव नाय्या को सपने में देखने के बाद उनके किताब के लिए एक मेल लिखते हैं और उन्हे भेज देते हैं। कुछ दिनों बाद उनका जवाब भी आता है। जिसे पढ़ कर मानव खुश होते हैं और कोपेनहैगन में उनसे मिलने की इच्छा जागृत होती है। और वह उन्हे एक के बाद एक मेल करते जाते हैं। जिसके बाद नाय्या द्वारा भी जवाब आता रहता है।
इस दौरान मानव को दोस्त का मेल आता है, जिसका नाम शायर है, जो एक लड़की है। वह उन्हे अपने मेल में बताती है कि वह उनसे उस समय से जानआती है जब दोनों नाटक किया करते थे। मानव शायर से मिलने को लेकर बहुत उत्साहित होते हैं और ऋषिकेश के पास एक जगह है, लैन्डोर। जहां मानव एक छोटे गेस्ट हाउस में ठहरे होते हैं।
दोनों मिलने का निर्णय करते हैं कुछ पुरानी यादों को याद कर खुश होते हैं और कुछ पुरानी बातों पर चर्चा करते हैं। दोनों एक-दूसरे में अपने को खोजते हुए अपने-अपने जगह के एक कोने में दुबक जाते हैं। इसी दौरान मानव रस्किन बॉन्ड से मिलने भी जाते हैं जिसमें उनके साथ शायर भी रहती है। दोनों रस्किन से मिलकर बहुत खुश होते हैं। उसके बाद शायर अपने मंजिल की ओर चली जाती है।
उसके बाद मानव जैसे दो साल के लिए ठहर से जाते हैं लेकिन एक दिन अचानक वह नाय्या से मिलने के लिए कोपेनहैगन को निकल जाते हैं और नाय्या को इसका मेल भी कर देते हैं। जिसमें वह उनका स्वागत करती है।
कोपेनहैगन में मिलने के दौरान दोनों एक-दूसरे को साझा करते हैं और मानव कहते हैं कि वह उन्हे लिख रहे हैं। जिसे लेकर नाय्या उन्हे सपोर्ट भी करती है। नाय्या मानव से मिलने के बाद अपने बेटे कार्ल के बारे में सभी जानकारी और अपनी भावनाओं को साझा करती है, जिसे मानव अपने लिखे में जगह देते जाते हैं।
नाय्या मानव को हर उस जगह पर लेकर जाती है, जहां कार्ल रहता था, जहां उसने अपना बचपन बिताया, उसके स्कूल, उसके खेलने की जगह, वह खिड़की भी, जहां से कार्ल ने छलांग लगाई, फिर उसके बाद वो अस्पताल, वो चेयर, वो बेड फिर उसके बाद वो स्थान जहां मरने के बाद कार्ल को दफनाया गया। वो सारी जगह जहां नाय्या की भावनाएं जुड़ी हुई थी, सभी जगह पर मानव ने विजिट किया और अपने भावनाओं के अनुसार अपने किताबों में जगह भी दी।
जाते-जाते नाय्या मानव को अपने घर पर इन्वाइट करती है और दोनों साथ काफी भी पीते हैं। एक-दूसरे से विदाई लेने से पहले। फिर मानव अपने देश को वापस लौट जाते हैं।
कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश-
मुझे इस किताब का सबसे अच्छा पार्ट ये लगा, जब मानव शायर के साथ रस्किन बॉन्ड से मिलने जाते हैं।
सुबह हम दोनों रस्किन बॉन्ड से मिलने उनके घर की तरफ चल दिए। मेरे दिमाग में बहुत-सी कहानियाँ घूम रही थी। लेखन की सरलता, उनकी बिल्ली, उँकाई खिड़की पर चिड़िया का आना, धूप, पेड़, पहाड़, तितली, ट्रेन, देहरादून, उनके पिता से उनका संबंध। मेरे उत्साह में हम दोनों समय से बहुत पहलए उनके दरवाजे पर जाकर खड़े हो गए थे। मैं खुद को रोक नहीं पाया और मैने बेल बजाय दी।
मैने बहुत पहलए किसी दोस्त से कहा था कि मैं अपने बुढ़ापे में रस्किन बॉन्ड की तरह लिख रहा होऊँगा। उनके बेटे ने दरवाजा खोला। हम एक छोटे कमरे में बैठे हुए उनके प्रगट होने का इंतजार कर रहे थे। वो कमरा किताबों से अटा पड़ा था। मेरी इच्छा हुई कि मैं उठकर सारी किताबों को एक बार टटोलकर देख लूँ। पर हम दोनों अपनी उत्सुकता भीतर दबाए बैठे रहे।
मैं अचानक सोचने लगा कि क्या नाय्या से मिलना भी ऐसा ही होगा! मैं किसी कमरे में बैठा उनका इंतजार कर रहा होऊँगा कोपेनहैगन में और कुछ देर में उनके आने की आहट आएगी। तभी पर्दे के पीछे से आहट हुई और वह प्रगट हुए, लाल नाइट गाउन पहने हुए। वह अपनी बड़ी-सी कुर्सी पर बैठ गए जिसके ठीक बगल में हीटर रखा हुआ था। हाम दोनों खड़े हो गए। मैं अपने साथ अपना पहला उपन्यास भी साथ ले आया था जो अभी-अभी प्रकाशित हुआ था।
मैने सबसे पहलए उनके हाथों में अपनी किताब को रख दिया। वह कुछ देर उसे देखते रहे फिर उन्होंने कहा कि मेरे साथ इसकी तस्वीर ले लॉ। मैने तस्वीर के बदले वीडियो बना लिया। मैं अपने प्रिय लेखक से क्या बात करना चाहता हूँ? मैं बार-बार इस सवाल को अपने भीतर दोहरा रहा था। मैने इशारे से शायर से कहा कि कुछ बात करो, पर वह बस उनकी तरफ देखकर मुसकुराती रही। फिर मैने उनके लेखन के बारे में कुछ बहुत ही सीधे सवाल कीए उनके सारे जवाबों में बहुत ह्यूमर भरा हुआ था।
मेरे साथ-साथ शायर भी बहुत हँस रही थी। उन्होंने दस मिनट का समय दिया था और हमें आधे घंटे से ऊपर हो चुका था। जब हम जाने लगे टॉ उन्होंने अपनी नई किताब की एक-एक प्रति हम दोनों को दी, अपनी हस्ताक्षर करके।
“ये लड़की तो बिल्कुल बात नहीं करती, पर हँसती बहुत अच्छा हैं।”
उन्होंने अंग्रेजी में कहा। हम दोनों फिर हँस दिए। जाते वक्त मैने उनसे कहा कि अगर कोविड का खतरा नहीं होता तो मैं आपके गले लग जाता। “वो तो तुम अभी भी लग सकते हो।” ये कहते ही उन्होंने अपने दोनों हाथ फैला दिए।