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हिंद युग्म Hind Yugm के बारे में

हिन्द-युग्म प्रकाशन बहुत तेज़ी से उभरने वाला, हिन्दी में पुस्तकें प्रकाशित करने का एक उपक्रम है, जो विश्व स्तरीय डिजाइन और लेआउट के साथ हिन्दी में उत्कृष्ठ किताबें प्रकाशित करता है। सुंदर छपाई और शुद्धता पर भी विशेष ज़ोर देता है। पाठकों तक पहुँचने के पारम्परिक रास्तों के अतिरिक्त यह प्रकाशन ऑनलाइन तरीकों से दुनिया भर के पाठकों तक सीधी पहुँच बनाता है। वेबसाइट : http://www.hindyugm.com/

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हिंद युग्म Hind Yugm की पुस्तकें

आहिल

आहिल

अगर कुएँ में पत्थर फेंकने की ख़ुशी पानी है तो कुछ कबूतरों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है—किसी मासूम बच्चे को ऐसे विचारों और सिद्धांतों तक पहुँचने में कितना दर्द और कितनी नफ़रत लगती है उसका आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। आहिल एक छोटे-से गाँव के एक

61 पाठक
3 रचनाएँ
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प्रिंट बुक:

173/-

आहिल

आहिल

अगर कुएँ में पत्थर फेंकने की ख़ुशी पानी है तो कुछ कबूतरों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है—किसी मासूम बच्चे को ऐसे विचारों और सिद्धांतों तक पहुँचने में कितना दर्द और कितनी नफ़रत लगती है उसका आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। आहिल एक छोटे-से गाँव के एक

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देहाती लड़के

देहाती लड़के

यह एक ग्रामीण इलाके के लड़के रजत की कहानी है, जो गांव के स्कूल से पढ़कर अपनी उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ शहर में आता है। अधिकारी बनने की उच्च आकांक्षाएं, अपने शिष्टाचार में मामूली देसीपन, वह कॉलेज के आसपास अपने तरीके से संघर्ष करता है। शहर और कॉलेज उसका

8 पाठक
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299/-

देहाती लड़के

देहाती लड़के

यह एक ग्रामीण इलाके के लड़के रजत की कहानी है, जो गांव के स्कूल से पढ़कर अपनी उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ शहर में आता है। अधिकारी बनने की उच्च आकांक्षाएं, अपने शिष्टाचार में मामूली देसीपन, वह कॉलेज के आसपास अपने तरीके से संघर्ष करता है। शहर और कॉलेज उसका

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रूह

रूह

मैं जब इस किताब को लिखने, अपनी पूरी नासमझी के साथ कश्मीर पहुँचा तो मुझे वहाँ सिर्फ़ सूखा पथरीला मैदान नज़र आया। जहाँ किसी भी तरह का लेखन संभव नहीं था। पर उन ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलते हुए मैंने जिस भी पत्थर को पलटाया उसके नीचे मुझे जीवन दिखा, नमी और

6 पाठक
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रूह

रूह

मैं जब इस किताब को लिखने, अपनी पूरी नासमझी के साथ कश्मीर पहुँचा तो मुझे वहाँ सिर्फ़ सूखा पथरीला मैदान नज़र आया। जहाँ किसी भी तरह का लेखन संभव नहीं था। पर उन ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलते हुए मैंने जिस भी पत्थर को पलटाया उसके नीचे मुझे जीवन दिखा, नमी और

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चौरासी 84

चौरासी 84

‘चौरासी’ नामक यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प

5 पाठक
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149/-

चौरासी 84

चौरासी 84

‘चौरासी’ नामक यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प

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लहरतारा

लहरतारा

बनारस के एक छोटे से मोहल्ले में बड़ा होता एक लड़का घर के माहौल से ऊब कर संतों की संगति में बैठने लगता है और दुनिया देखने का उसका नज़रिया बदलने लगता है। वो बड़ा होकर लेखक बनना चाहता है और इस सपने को जीते हुए वह बचपन की दोस्तियों और जवानी के प्यार से रूबरू

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लहरतारा

लहरतारा

बनारस के एक छोटे से मोहल्ले में बड़ा होता एक लड़का घर के माहौल से ऊब कर संतों की संगति में बैठने लगता है और दुनिया देखने का उसका नज़रिया बदलने लगता है। वो बड़ा होकर लेखक बनना चाहता है और इस सपने को जीते हुए वह बचपन की दोस्तियों और जवानी के प्यार से रूबरू

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मुसाफ़िर Cafe

मुसाफ़िर Cafe

हम सभी की जिंदगी में एक लिस्ट होती है। हमारे सपनों की लिस्ट, छोटी-मोटी खुशियों की लिस्ट। सुधा की जिंदगी में भी एक ऐसी ही लिस्ट थी। हम सभी अपनी सपनों की लिस्ट को पूरा करते-करते लाइफ गुज़ार देते हैं। जब सुधा अपनी लिस्ट पूरी करते हुए लाइफ़ की तरफ़ पहुँच

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मुसाफ़िर Cafe

मुसाफ़िर Cafe

हम सभी की जिंदगी में एक लिस्ट होती है। हमारे सपनों की लिस्ट, छोटी-मोटी खुशियों की लिस्ट। सुधा की जिंदगी में भी एक ऐसी ही लिस्ट थी। हम सभी अपनी सपनों की लिस्ट को पूरा करते-करते लाइफ गुज़ार देते हैं। जब सुधा अपनी लिस्ट पूरी करते हुए लाइफ़ की तरफ़ पहुँच

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यूपी 65

यूपी 65

उपन्यास की पृष्ठभूमि में आइआइटी बीएचयू (IIT BHU) और बनारस है, वहाँ की मस्ती है, बीएचयू के विद्यार्थी, अध्यापक और उनका औघड़पन है। समकालीन परिवेश में बुनी कथा एक इंजीनियर के इश्क़, शिक्षा-व्यवस्था से उसके मोहभंग और अपनी राह ख़ुद बनाने का ताना-बाना बुनत

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यूपी 65

यूपी 65

उपन्यास की पृष्ठभूमि में आइआइटी बीएचयू (IIT BHU) और बनारस है, वहाँ की मस्ती है, बीएचयू के विद्यार्थी, अध्यापक और उनका औघड़पन है। समकालीन परिवेश में बुनी कथा एक इंजीनियर के इश्क़, शिक्षा-व्यवस्था से उसके मोहभंग और अपनी राह ख़ुद बनाने का ताना-बाना बुनत

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शर्तें लागू

शर्तें लागू

आप कह सकते हैं कि 'शर्तें लागू' नई वाली हिंदी की पहली किताब है। इस किताब में आपके स्कूल में पढ़ने वाली वह लड़की है जिसके बारे में सब बातें बनाते थे। मोहल्ले के वह भइया हैं जो कुछ भी हो जाता था तो कहते थे टेंशन मत लो यार सब सही हो जाएगा। वे अंकल हैं ज

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शर्तें लागू

शर्तें लागू

आप कह सकते हैं कि 'शर्तें लागू' नई वाली हिंदी की पहली किताब है। इस किताब में आपके स्कूल में पढ़ने वाली वह लड़की है जिसके बारे में सब बातें बनाते थे। मोहल्ले के वह भइया हैं जो कुछ भी हो जाता था तो कहते थे टेंशन मत लो यार सब सही हो जाएगा। वे अंकल हैं ज

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नमक स्वादानुसार

नमक स्वादानुसार

यह हिन्दी में लिखी गई 9 लघु कथाओं का संग्रह है। यह लेखक के जीवन और उसके आसपास के उदाहरणों, स्थानों और लोगों से बहुत अधिक प्रेरित है। कहानियाँ गहरी कल्पनाओं से लेकर बचपन की कहानियों तक हैं और एक दूसरे से कथात्मक और वैचारिक रूप से अद्वितीय हैं। लोग अपन

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150/-

नमक स्वादानुसार

नमक स्वादानुसार

यह हिन्दी में लिखी गई 9 लघु कथाओं का संग्रह है। यह लेखक के जीवन और उसके आसपास के उदाहरणों, स्थानों और लोगों से बहुत अधिक प्रेरित है। कहानियाँ गहरी कल्पनाओं से लेकर बचपन की कहानियों तक हैं और एक दूसरे से कथात्मक और वैचारिक रूप से अद्वितीय हैं। लोग अपन

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 बाग़ी बलिया

बाग़ी बलिया

यह एक ऐसी कहानी है जो आपको हँसाते हुए रुला देने के मोड़ पर ले जाएगी। संजय-रफ़ीक़ की गंगा जमनी दोस्ती है। दोस्तों की छेड़ है। रफ़ीक़-उज़्मा का प्रेम है। शहर बलिया की अपनी राजनीति है। षड्यंत्र है। हत्या है। आत्महत्या है। और इन सबसे ऊपर एक ऐतिहासिक ट्विस्

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 बाग़ी बलिया

बाग़ी बलिया

यह एक ऐसी कहानी है जो आपको हँसाते हुए रुला देने के मोड़ पर ले जाएगी। संजय-रफ़ीक़ की गंगा जमनी दोस्ती है। दोस्तों की छेड़ है। रफ़ीक़-उज़्मा का प्रेम है। शहर बलिया की अपनी राजनीति है। षड्यंत्र है। हत्या है। आत्महत्या है। और इन सबसे ऊपर एक ऐतिहासिक ट्विस्

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हिंद युग्म Hind Yugm के लेख

पात्र परिचय

21 अप्रैल 2023
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लेखक हमें हिंदी पट्टी के गांवों में ले चलते हैं. वह दौर है तब का, जब हर किसी के हाथों में मोबाइल आना शुरू ही हुआ था. संचार क्रांति लोगों को पास लाने का दावा कर रही थी. गांव के हरिजन टोले में एक मंदिर

एक झलक

21 अप्रैल 2023
0
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उपन्यास में मुख्य कहानी के साथ-साथ कई और कहानियां चलती हैं. गणेशी महतो और उनके बेटे रोहित की कहानी गांव की उस दशा को बयां करती है, जहां किसान नहीं चाहता कि उसका बेटा खेती-बाड़ी के चक्कर में फंसे. उसकी

सखी री, पियु नहीं जानत प्रेम

20 अप्रैल 2023
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सुबह का वक़्त ऋषि के बाहर निकल जाने का होता था। वह सुबह-सुबह ही अपनी मोटरसाइकिल से निकल जाता था और लगातार के तीन- चार ट्यूशन ख़त्म कर क़रीब बारह बजे कमरे पर आता था। यह उसका रोज़ का ही नियम था जो इतवार

सखी री ! पिया दिखे कल भोर

20 अप्रैल 2023
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शहर नया बसा था। शहर जो आदिवासियों को विस्थापित कर बसा था और इसीलिए विस्थापितों की 'आह' लिए बसा था। शहर जो पहले प्र- धानमंत्री के सपनों का भारत बना रहा था और इसलिए लोहे उगाते हुए किसानों को नौकरी करना

दुखवा सुनावे नगरिया सखी री

20 अप्रैल 2023
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कहानियों को गंभीर और अलग बनाने के बहुत सारे तरीक़े हो सकते हैं। एक तरीक़ा तो यह है कि कहानी कहीं बीच के अध्याय से शुरू कर दी जाए। आप आठवें-नवें पन्ने पर जाएँ तो आपको कहानी का सूत्र मिले। आप विशद पाठक

कविताएँ

3 अप्रैल 2023
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ये रात, ये शमाँ और उनका यूँ हँसते हुए आँखों में देखना, कौन कहता है कि जन्नत क़यामत के बाद मिलती है।   - मृत्युंजय राय 

पाठको की नज़र में लहरतारा

28 मार्च 2023
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लहरतारा यों तो एक मोहल्ले का नाम है - पर इसी नाम की किताब, जो विमल चंद्र पांडेय ने लिखी है और जो हिंद युग्म से प्रकाशित हुई है, पढ़ते हुए आप जानते हैं कि मोहल्ला जो व्यक्ति के होने में शामिल होता है,

पुस्तक के प्रमुख अंश

28 मार्च 2023
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‘सबै रसायन हम किया, प्रेम समान ना कोय रंचक तन में संचरै, सब तन कंचन होय... कबीरा सब तन कंचन होय...’“समझे?”  उन्होंने मुस्कुराते हुए चतुर से पूछा और चतुर ने नहीं में सिर हिलाया। उन्होंने भुना हुआ बैग

सोशल मीडिया की बेफिजूल बहस

23 मार्च 2023
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आर्या की कहानी हर उस लड़की के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो अपने आत्मसम्मान और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है....अगर आप गलत नहीं तो किसी से डरकर नहीं जिएंगे इस बात को चरितार्थ किया गया है....बाकी सोशल मीडिया

एक झलक

23 मार्च 2023
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'द्वेषद्रोही' दरअसल एक ऐसे समय का ही सच है जहां समकाल एक झूठे राष्ट्रवाद की गिरफ्त में है और जाति-धर्म के ढांचे पर साम्प्रदायिकता विकृत रूप से फल-फूल रही है। 'देहाती लड़के' के बाद 'द्वेषद्रोही' शशां

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