पात्र परिचय
21 अप्रैल 2023
हिन्द-युग्म प्रकाशन बहुत तेज़ी से उभरने वाला, हिन्दी में पुस्तकें प्रकाशित करने का एक उपक्रम है, जो विश्व स्तरीय डिजाइन और लेआउट के साथ हिन्दी में उत्कृष्ठ किताबें प्रकाशित करता है। सुंदर छपाई और शुद्धता पर भी विशेष ज़ोर देता है। पाठकों तक पहुँचने के पारम्परिक रास्तों के अतिरिक्त यह प्रकाशन ऑनलाइन तरीकों से दुनिया भर के पाठकों तक सीधी पहुँच बनाता है। वेबसाइट : http://www.hindyugm.com/
अगर कुएँ में पत्थर फेंकने की ख़ुशी पानी है तो कुछ कबूतरों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है—किसी मासूम बच्चे को ऐसे विचारों और सिद्धांतों तक पहुँचने में कितना दर्द और कितनी नफ़रत लगती है उसका आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। आहिल एक छोटे-से गाँव के एक
अगर कुएँ में पत्थर फेंकने की ख़ुशी पानी है तो कुछ कबूतरों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है—किसी मासूम बच्चे को ऐसे विचारों और सिद्धांतों तक पहुँचने में कितना दर्द और कितनी नफ़रत लगती है उसका आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। आहिल एक छोटे-से गाँव के एक
‘चौरासी’ नामक यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प
‘चौरासी’ नामक यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प
मैं जब इस किताब को लिखने, अपनी पूरी नासमझी के साथ कश्मीर पहुँचा तो मुझे वहाँ सिर्फ़ सूखा पथरीला मैदान नज़र आया। जहाँ किसी भी तरह का लेखन संभव नहीं था। पर उन ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलते हुए मैंने जिस भी पत्थर को पलटाया उसके नीचे मुझे जीवन दिखा, नमी और
मैं जब इस किताब को लिखने, अपनी पूरी नासमझी के साथ कश्मीर पहुँचा तो मुझे वहाँ सिर्फ़ सूखा पथरीला मैदान नज़र आया। जहाँ किसी भी तरह का लेखन संभव नहीं था। पर उन ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलते हुए मैंने जिस भी पत्थर को पलटाया उसके नीचे मुझे जीवन दिखा, नमी और
यह एक ग्रामीण इलाके के लड़के रजत की कहानी है, जो गांव के स्कूल से पढ़कर अपनी उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ शहर में आता है। अधिकारी बनने की उच्च आकांक्षाएं, अपने शिष्टाचार में मामूली देसीपन, वह कॉलेज के आसपास अपने तरीके से संघर्ष करता है। शहर और कॉलेज उसका
यह एक ग्रामीण इलाके के लड़के रजत की कहानी है, जो गांव के स्कूल से पढ़कर अपनी उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ शहर में आता है। अधिकारी बनने की उच्च आकांक्षाएं, अपने शिष्टाचार में मामूली देसीपन, वह कॉलेज के आसपास अपने तरीके से संघर्ष करता है। शहर और कॉलेज उसका
उपन्यास की पृष्ठभूमि में आइआइटी बीएचयू (IIT BHU) और बनारस है, वहाँ की मस्ती है, बीएचयू के विद्यार्थी, अध्यापक और उनका औघड़पन है। समकालीन परिवेश में बुनी कथा एक इंजीनियर के इश्क़, शिक्षा-व्यवस्था से उसके मोहभंग और अपनी राह ख़ुद बनाने का ताना-बाना बुनत
उपन्यास की पृष्ठभूमि में आइआइटी बीएचयू (IIT BHU) और बनारस है, वहाँ की मस्ती है, बीएचयू के विद्यार्थी, अध्यापक और उनका औघड़पन है। समकालीन परिवेश में बुनी कथा एक इंजीनियर के इश्क़, शिक्षा-व्यवस्था से उसके मोहभंग और अपनी राह ख़ुद बनाने का ताना-बाना बुनत
हम सभी की जिंदगी में एक लिस्ट होती है। हमारे सपनों की लिस्ट, छोटी-मोटी खुशियों की लिस्ट। सुधा की जिंदगी में भी एक ऐसी ही लिस्ट थी। हम सभी अपनी सपनों की लिस्ट को पूरा करते-करते लाइफ गुज़ार देते हैं। जब सुधा अपनी लिस्ट पूरी करते हुए लाइफ़ की तरफ़ पहुँच
हम सभी की जिंदगी में एक लिस्ट होती है। हमारे सपनों की लिस्ट, छोटी-मोटी खुशियों की लिस्ट। सुधा की जिंदगी में भी एक ऐसी ही लिस्ट थी। हम सभी अपनी सपनों की लिस्ट को पूरा करते-करते लाइफ गुज़ार देते हैं। जब सुधा अपनी लिस्ट पूरी करते हुए लाइफ़ की तरफ़ पहुँच
आप कह सकते हैं कि 'शर्तें लागू' नई वाली हिंदी की पहली किताब है। इस किताब में आपके स्कूल में पढ़ने वाली वह लड़की है जिसके बारे में सब बातें बनाते थे। मोहल्ले के वह भइया हैं जो कुछ भी हो जाता था तो कहते थे टेंशन मत लो यार सब सही हो जाएगा। वे अंकल हैं ज
आप कह सकते हैं कि 'शर्तें लागू' नई वाली हिंदी की पहली किताब है। इस किताब में आपके स्कूल में पढ़ने वाली वह लड़की है जिसके बारे में सब बातें बनाते थे। मोहल्ले के वह भइया हैं जो कुछ भी हो जाता था तो कहते थे टेंशन मत लो यार सब सही हो जाएगा। वे अंकल हैं ज
यह हिन्दी में लिखी गई 9 लघु कथाओं का संग्रह है। यह लेखक के जीवन और उसके आसपास के उदाहरणों, स्थानों और लोगों से बहुत अधिक प्रेरित है। कहानियाँ गहरी कल्पनाओं से लेकर बचपन की कहानियों तक हैं और एक दूसरे से कथात्मक और वैचारिक रूप से अद्वितीय हैं। लोग अपन
यह हिन्दी में लिखी गई 9 लघु कथाओं का संग्रह है। यह लेखक के जीवन और उसके आसपास के उदाहरणों, स्थानों और लोगों से बहुत अधिक प्रेरित है। कहानियाँ गहरी कल्पनाओं से लेकर बचपन की कहानियों तक हैं और एक दूसरे से कथात्मक और वैचारिक रूप से अद्वितीय हैं। लोग अपन
यह एक ऐसी कहानी है जो आपको हँसाते हुए रुला देने के मोड़ पर ले जाएगी। संजय-रफ़ीक़ की गंगा जमनी दोस्ती है। दोस्तों की छेड़ है। रफ़ीक़-उज़्मा का प्रेम है। शहर बलिया की अपनी राजनीति है। षड्यंत्र है। हत्या है। आत्महत्या है। और इन सबसे ऊपर एक ऐतिहासिक ट्विस्
यह एक ऐसी कहानी है जो आपको हँसाते हुए रुला देने के मोड़ पर ले जाएगी। संजय-रफ़ीक़ की गंगा जमनी दोस्ती है। दोस्तों की छेड़ है। रफ़ीक़-उज़्मा का प्रेम है। शहर बलिया की अपनी राजनीति है। षड्यंत्र है। हत्या है। आत्महत्या है। और इन सबसे ऊपर एक ऐतिहासिक ट्विस्
चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में 10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे। एक साल में एक बार, बस। अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन’ 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं। एक त
चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में 10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे। एक साल में एक बार, बस। अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन’ 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं। एक त
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