टमाटर की खटास आजकल,टमाटर की खटास आजकल,
टमाटर की खटास आजकल,टमाटर की खटास आजकल,
कुछ ज्यादा ही हो गई |
देख के ये अपना हाल,
प्याज़ की आँखे नम हो गई ||
छीनी मेरी भी कुर्सी |
कैसी ये तेरी मर्ज़ी ||
गुस्से में टमाटर से, ज्यादा लाल हुआ है |
कैसे हुआ ? सोचकर ये बेहाल हुआ है ||
टमाटर को गिराने हेतु, आगे आना होगा |
प्याज ही नहीं, सबको रेट बढ़ाना होगा ||
खीच कर टांग को गिरा देंगे |
काबिज़ कुर्सी पर हो जायेंगे ||
रुतबा अपना कम कर नहीं सकते |
टमाटर को बढ़ने नही दे सकते ||
गति अपनी फिर बढ़ाऊंगा |
टमाटर से ऊपर जाऊँगा ||
हर बार आसमां छूता हूँ ,
इस बार भी हार न मानूँगा |
कुछ भी कर सकता हूँ ,
टमाटर से पीछे न रहूँगा ||
नीरू शर्मा