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प्यार की शुरुआत

11 नवम्बर 2022

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मैं आपके बिना नहीं रह सकती 
एक घर में एक लड़की पैदा होती है | जब वो पैदा होती है, तो घर में मातम छा जाता है ! कि ये लड़की क्यों पैदा हुई | पैदा होता तो लड़का पैदा होता, ये लड़की घर का कहीं नाम खराब न कर दे |
लेकिन हकीकत ये
न लड़की बुरी है और न हैं लड़के बुरे 
बुरा है वो जिसके अमल बुरे किरदार बुरे
अब वह लड़की कुछ बड़ी हो चुकी है | लेकिन उसे प्यार हो जाता है | उसके प्यार को 17 साल बीत जाते हैं लेकिन प्यार अभी भी खत्म नहीं होता है |
वह कभी महबूब के पांव दबाती है कभी उसके सर की मालिश करती है | वो मेहबूब के घर का भी पूरा ख्याल रखती है | हमेशा दुआएं करती है, की कभी उस घर में कोई दिक्कत नहीं आए | अब जमाना के ऐतबार से उसके घर वाले उसकी शादी करने की सोचते हैं, आखिर कब तक नहीं करेंगे करनी तो है | 
अब उसकी शादी हो जाती है | लेकिन जिससे शादी होती है उससे भी वो बहुत प्यार करने लग जाती है | और अपने पुराने प्यार को भी नहीं भूलती है | उसे बहुत याद आती है उस प्यार की जिसे इक दिन बिना देखे दिल को चैन नहीं आता था | मगर वो बेचारी करती भी क्या मजबूर थी पति के बंधन से | पति की हर इच्छा पूरी करना उसका काम था | वो पति को भी बहुत प्यार करती और हमेशा सोचती थी कि इनको कभी मुसीबत न आए | अभी शादी को लगभग एक साल ही गुजरा था कि उसे फिर किसी और से मुहब्बत हो जाती है | मामला चलता रहता है दोनो तरफ से बहुत मुहब्बत होती है | इतनी कड़ी मुहब्बत होती है की, जिस दिन इक दूसरे की छाती से चिपकते नहीं उस वक्त दोनो में से किसी को चैन नहीं पड़ता | सोना भी साथ में होता था अलग सो ही नहीं सकते थे | मेहबूब को भी उस मेहबूब से इतना प्यार हो गया था कि उसके बिना तो उसका जीना दुश्वार था | उसके बिना वो खाना भी नहीं खा सकता था | लेकिन महबूबा का प्यार इतना ज्यादा होने के बाद भी, वो पुराने मेहबूब और अपने पति से भी बहुत ज्यादा प्यार करती रही,
महबूबा झठी थी मगर बेवफा नहीं थी ,
उसने ये तीसरा प्यार किया इक साथ
दुनिया जिसको समझती है बहुत बुरा
‘हसन ' कहता है उसकी ये खता नहीं  थी |
आखिर क्यों नहीं थी खता...........
जैसा कि हमने पढ़ा की मेहबूब को भी महबूबा से इतना प्यार हो गया कि उसके बिना अब मेहबूब खाना भी नहीं खा सकता था | 
लेकिन झूठी महबूबा पागल महबूब महबूबा ने झूठ बोलना शुरू कर दिया | जब भी मेहबूब से कोई बात हो जाती थी तो कहती थी आज तुझे खाना नहीं दूंगी | मेहबूब तो पागल था कितना भी बुरा कह ले कितना भी सुना ले मगर वो पागल मेहबूब को खाना वहीं जाकर खाना होता था | जब झूठी महबूबा का मेहबूब खाने के वक्त आता था फोरन उसको खाने के लिए देती थी अपने सीने से लगा लेती थी |
वो पागल मेहबूब था वो उसके झूट को समझ नहीं पाया था |
उसके इस प्यार को काफी वक्त बीत जाता है धीरे धीरे मेहबूब को महबूबा से मुहब्बत कम हो जाती है | 
वैसे भी नई नई चीज सबको अच्छी लगती है | उधर उसके पहले वाला मेहबूब भी इस दुनिया में नहीं रहता है | मेहबूब को उसका भी बहुत सदमा था | 
तीसरे मेहबूब को प्यार कम होता चला गया, लेकिन महबूबा आज भी अपने मेहबूब के लिए बेचैन रहती है | एक दिन नौबत ये आती है कि मेहबूब को को किसी और से प्यार हो जाता है | मेहबूब का वो नया नया प्यार होता है ‘नई नई चीज सबको अच्छी लगती है ’
मेहबूब का वो नया प्यार बढ़ता जाता है इस कदर बढ़ जाता है की वो शादी कर लेते हैं |
लेकिन वो बेचारी महबूबा आज भी इसी मेहबूब से प्यार कर रही होती है | पागल मेहबूब झूठी महबूबा को भूल जाता है |
मगर महबूबा परेशान रहने लगती है | लेकिन वो लौटकर ही नहीं देखता है क्योंकि उसे नया प्यार जो मिल जाता है | आज भी वो महबूबा अपने इस मेहबूब के लिए रातो रात रो रही होती है उसके लिए दुआएं करती है मालिक से | कि वो हमेशा ठीक रहे |
महबूबा झठी थी मगर बेवफा नहीं थी ,
उसने ये तीसरा प्यार किया इक साथ
दुनिया जिसको समझती है बहुत बुरा
‘हसन' कहता है उसकी ये खता नहीं थी |

पहला प्यार कौन था ?
हकीकत में समाज में लड़कियों को बुरा जाना जाता है लेकिन वो लड़की जो थी जिसने पहला प्यार की था वो उसके पापा थे | जिससे हर लड़की बहुत प्यार करती है | वो पापा जो कभी उस लड़की के बारे में सोचते थे कि ये नहीं होती लड़का होता तो बात बन जाती |

दूसरा प्यार कौन था ?
 दूसरा प्यार हकीकत में वो उसके पति से था |

तीसरा प्यार कौन था ?
तीसरा प्यार वो लड़का था जिसने धोका दिया और जिसके लिए लोग कहते हैं की लड़की की जगह लड़का होता तो बात बन जाती हकीकत में वही लड़का बात बिगाड़ देता है | वो उस मां बाप को भूल जाता है, जिसके खून से वो पैदा होता है, जिसका डीएनए उसके खून में होता है, उनका प्यार भूल जाता है | उन्हें ठोकरें देता है जिन्होंने उसको चलना सिखाया , जिन्होंने खाना सिखाया , जिन्होंने बोलना सिखाया , जिन्होंने हर मुसीबत उसके लिए उठाई 

जमाना कहता है तरक्की कर रहे हैं 
लेकिन किसी ने खुद की सच्चाई न बताई

आज भूल गया उसको जिसने हर मुसीबत तेरे लिए उठाई
अब क्या बताऊं आप समझ गए क्या है जमाने की सच्चाई

सीख 
दोस्तो साथियों जिंदगी में हमेशा उससे प्यार करो जिसने तुम्हारे लिए जिंदगी दी और जो जिंदगी भर साथ दे | 
ना कि उससे जिसने उसे भुला दिया जिसने जिंदगी दी , बीच रास्ते में जो आपको दगा दे ||



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रचनाएँ
झूठी महबूबा, पागल महबूब ? मगर बेवफा नहीं वो
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इस किताब का नाम ‘झूठी महबूबा, पागल महबूब है' इस किताब में इक ऐसी महबूबा की कहानी है जो बहुत झूठी होती है लेकिन सच्ची प्रेमी होती है और इक ऐसा महबूब होता है जो बहुत बड़ा पागल होता है उसके प्रेम को और उसके झूट को समझना नहीं पाता है

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