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मां तेरी हर जरूरत, क्या मैं पुरी कर पाऊंगा... जब पुकारेगी मां,तो क्या मैं दौड़ा चला आऊंगा... हर समय मेरा ख्याल, कैसे रख लेती हों मां... मैं सोता भी रहूं तो मेरी सुरत कैसे तख लेती हों मां... खुद गी
मां की बातें भी कुछ, याद हमें दिलाती हैं... जीवन में कैसे जीना है, ये रोज हमें बतलाती हैं... कभी-कभी तो हमें भी,याद मां की आती हैं... आखिर मां की बातें ही हमें जीवन जीना सिखाती हैं... डांट भी
देख गरीबी अपने लाल की, आखिर मां क्यों रोती हैं... सब रिश्तों से बढ़कर भैया, मां तो आखिर मां होती हैं...