यहां हर आंख में नमी
और, सीने मचा
तूफान का बवंडर क्यो है ?
कल तक भरते थे
जिसकी दोस्ती का दम
उसकी पीठ पर आज ,
तेरी दुश्मनी का खंजर क्यों है ?
इश्क -वफ़ा की बातें
हो गई अब किताबी
लोगों के सीने में " दीपा",
दिल की जगह पत्थर क्यों है ?
सुनो ! एक पल के लिये
दिल से अपने पूछो तो सहीं ,
दुनियाँ में आखिर ये मंजर क्यों है?
दीप्ति श्रीवास्तव " दीपा "
राजनांदगांव ,छत्तीसगढ़