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" बचपन के मित्र "

13 सितम्बर 2022

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   कितना अच्छा था बचपन और
   कितने अच्छे थे बचपन के मित्र
   न छल-कपट न दुनियांदारी थी
   महकते थे नन्हे फूल जैसे हो इत्र
   आज भी आंखें ढूंढती है उनको
    बन कर रह जो ख़्वाबों के चित्र    
    काश वो बचपन फिर से लौट आये
    मिल जाएं फिर खोए सारे प्यारे मित्र ।      

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