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कितना अच्छा था बचपन और कितने अच्छे थे बचपन के मित्र न छल-कपट न दुनियांदारी थी महकते थे नन्हे फूल जैसे हो इत्र आज भी आंखें ढूंढती है उनको&nb
<div>यहां हर आंख में नमी</div><div>और, सीने मचा</div><div>तूफान का बवंडर क्यो है ?</div><div>कल तक भ