shabd-logo

चाँदनी रात

27 जून 2016

337 बार देखा गया 337

      चाँदनी रात

नैन की नैन से हो रही बात है ।

प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥

बावरी हूँ विरह में तुम्हारे पिया ।

आपके प्यार की मैं दुखारी पिया ।

आस हो तुम हमारी हो विश्वास तुम ।

मेरे जीवन की कन्ते हर इक सांस तुम ।

तेरे हाथों अब तो मेरा हाथ है ।

प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥

प्राणप्रिय मैं तुम्हारी हूँ अर्धांगिनी ।

आधे तन की तुम्हारे हूँ मैं स्वामिनी ।

इसलिए रोकती हूँ न जाओ प्रिये ।

वल्लभे तुम मुझे क्यों हो व्याकुल किये ।

हुआ अब विरह तप्त ये गात है ।

प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥

देखकर ही तुम्हे सांस चलती मेरी ।

तुम न जाओ अभी ये है विनती मेरी ।

रोते रहते नयन आपकी चाह में ।

मैंने बरसों बिताए सजन राह में ।

आप के बिन न भाता मुझे प्रात है ।

प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥

होते हम तुम तो होता ये मौसम नहीं ।

होता मौसम तो होते हैं हम तुम नहीं ।

आज हम तुम भी हैं और मौसम भी है

मस्त बारिश की बूदों की छम-छम भी है ।

तेरी खातिर ही मेरा ये श्रृंगार है ।

प्रिय न जाओ अभी चांदनी रात है ॥

                  (आदित्य त्रिपाठी, ग्राम व पोस्ट बालामऊ, जनपद हरदोई, उ. प्र.)

 

आदित्य त्रिपाठी की अन्य किताबें

राघवेन्द्र कुमार

राघवेन्द्र कुमार

भावपूर्ण... अति सुन्दर...

28 जून 2016

1

चाँदनी रात

27 जून 2016
0
3
1

      चाँदनी रातनैनकी नैन से हो रही बात है ।प्रियन जाओ अभी चांदनी रात है ॥बावरीहूँ विरह में तुम्हारे पिया ।आपकेप्यार की मैं दुखारी पिया ।आसहो तुम हमारी हो विश्वास तुम ।मेरेजीवन की कन्ते हर इक सांस तुम ।तेरेहाथों अब तो मेरा हाथ है ।प्रियन जाओ अभी चांदनी रात है ॥प्राणप्रियमैं तुम्हारी हूँ अर्धांगिनी ।

2

विनाश के पथ पर प्राथमिक शिक्षा

28 जून 2016
0
3
1

                  विनाश के पथ पर प्राथमिक शिक्षा                                                 रिपोर्ट : आदित्य त्रिपाठीवर्तमान समय में हरदोई में 2467प्राथमिक विद्यालय, 939 उच्च प्राथमिक विद्यालय और 48 अशासकीय सहायता प्राप्तजूनियर हाई स्कूल संचालित किए जा रहे हैं । सर्व शिक्षाअभियान द्वारा विद्याल

3

फूल बनकर खिलो

9 जुलाई 2016
0
0
0

फूल बनकर खिलोएक कमल की तरह ।कर दो शीतल सभी को विधु की तरह ।आरजू है हमारी मेरे भाइयों ।जब मिलो तो मिलो दोस्तों की तरह ।। था अभी पंक में एक पंकज खिला ।पंक बोला कि इससे हमें क्या मिला ।बोला पंकज कि तुझमें मेरी जान है ।दोस्त तुझसे ही मेरी ये पहचान है ।नाम तेरा बढ़े इस गगन की तरह ।फूल बनकर खिलो एक कमल की

4

कुपोषण पर एक रिपोर्ट

13 अगस्त 2016
0
0
0

कुपोषण के सन्दर्भ में जो आँकड़े अभी हाल में आये हैं उससे हमारे देश में कुपोषण की भयावहता उजागर होती है । श्रीमान जी बच्चे देश का भविष्य हैं , वे भारत के भावी कर्णधार हैं । यही हमारे देश को उन्नति के शिखर पर ले जाने वाले हैं । परन्तु जब बच्चे ही कुपोषित होंगे तब देश का भविष्य स्वर्णिम होने की जगह कुपो

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए