फूल बनकर खिलो
एक कमल की तरह ।
कर दो शीतल सभी को
विधु की तरह ।
आरजू है हमारी
मेरे भाइयों ।
जब मिलो तो मिलो
दोस्तों की तरह ।।
था अभी पंक में
एक पंकज खिला ।
पंक बोला कि इससे
हमें क्या मिला ।
बोला पंकज कि
तुझमें मेरी जान है ।
दोस्त तुझसे ही
मेरी ये पहचान है ।
नाम तेरा बढ़े
इस गगन की तरह ।
फूल बनकर खिलो
एक कमल की तरह ।
कर दो शीतल सभी को
विधु की तरह ।।
मित्रता नीर और
क्षीर की देखिए ।
करिए मिश्रित इन्हें
और फिर तोलिए ।
है बढ़ा नीर का
क्षीर से मान है ।
मित्रता पर इन्हें
खूब अभिमान है ।
दो बदन हो गए
एक जान की तरह ।
फूल बनकर खिलो
एक कमल की तरह ।
कर दो शीतल सभी को
विधु की तरह ।।
स्वाति की बूँद एक
जा गिरी सीप में ।
जाके मोती बनी
सीप की प्रीति में ।
बिन्दु जल का जो था
वो रतन बन गया ।
काम ये मित्रता में
अजब हो गया ।
नाम इनका बढे
इस गगन की तरह ।
फूल बनकर खिलो
एक कमल की तरह ।
कर दो शीतल सभी को
विधु की तरह ।।
आरजू है हमारी
मेरे भाइयों ।
जब मिलो तो मिलो
दोस्तों की तरह ।।