आज़ादी
फहर रहा था अमर तिरंगा जगह युनिअन जैक की |गुजर गयी थी स्याह रात चमकी किस्मत देश की |स्वाधीन हुआ परतंत्र देश फिर नया सवेरा आया |पन्द्रह अगस्त का दिन खुशियों की झोली भर कर लाया | बापू, चाचा, सरदार सभी की मेहनत रंग थी लायी |भगत सिंह, अशफाक, लाहिड़ी की क़ुरबानी रंग लायी |खुशियाँ कब-कब बंधकर रहती वो तो आती