कुछ खास नही था उसमे...ना बला की खूबसूरत ना तीखा अंदाज बस पहले की तरह ही साधारण सी लडकी लग रही थी वो उस दिन भी... वही देखते ही मुस्करा कर नजरें चुरा लेना..कुछ नयी पुरानी बातें कुछ एक मिनटो के लिये एेसा लगा कि वक्त का पहिया फिर हमे सालो पीछे घसीट लाया है.. वैसे मैं उसकी हर एक चीज पर गौर किया करता था पर उस दिन सालो बाद कुछ मिनटो की मुलाकात मे वो जो कुछ एक बार हसी वही चेहरा याद है मुझे.. उसकी हसी वैसी ही थी शायद बस कमी थी तो उस अल्हडपन की जो कभी मेरे साथ होने से उसमे आ जाता था.. मिनटो में बातें खत्म हुयी और बातो मे मुलाकत ..मैं जो कहना चाहता था उससे नही कह पाया इसलिये नही कि मुझे डर था..मुझे उम्मीद थी कि मेरेएहसास को वो शायद समझने लगी होऔर ये मुलाकात उन्ही एहसास के आरेखो पर रंग चढाने के लिये है शायद..मगर ये सब तो एक सुबह के मीठे सपने की तरह था.. जिसे देखते देखते हम इतने आतुर हो जाते है कि नींद ही खुल जाती है..और अगले ही पल एहसास होता है कि ये तो एक मीठा सपना था जो अाने वाले कुछ दिनो तक के लिये अपनी मिठास छोड गया है... और फिर उसी मिठास और मुस्कुराते चेहरे के साथजिन्दगी की गाडी कुछ और तेज रफ्तार से दैड पडती ह