चाँद और चांदनी
तुम चाँद नहीं थी मेरे लिए चांदनी थी.. चाँद कहाँ बेदाग होता है ..पर चान्दनी तो पवन होती है.. तुम बेदाग थी मेरे लिए मैं इसीलिए तुम्हे चांदनी समझता था .. दुनिया के कहने पर भी मैंने तुम्हे चाँद कभी नहीं माना तुम हमेशा दोषमुक्त रही थी मेरे लिए .. तुम्हारा मेरे सामने चांदनी बनने को मैंने तुम्हारा वही बचपन