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राजनितिक पार्टिया और भ्रष्टाचार

11 अगस्त 2016

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article-imageरंग बदलने की फितरत और उदाहरण भले ही गिरगिट के हिस्से में आते हैं, लेकिन मानव जाति में भी कम रंग बदलू लोग नहीं हैं। सबसे ज्यादा यह प्रजाति आपको लोकतंत्र के मंदिर में मिल जाएगी ! बल्कि ऐसे लोगों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है। तो साहेबान, कदरदान, मेहरबान, पेश है भ्रष्टाचार में सर से पांव तक डूबे हमारे देश की दास्तान। बिना लिए-दिए तो बाबू के हाथ से फाईल आगे सरकती नहीं, अफसर के दस्तखत होते नहीं, भले ही चार के बजाय चालीस दिन और चार महीने बीत जाएं। आखिर परंपरा भी कोई चीज है भाई ! देश से अंग्रेज तो चले गए, पर अपनी कूटनीति का कुछ हिस्सा यहीं छोड़ गए। लिहाजा बचे हुए हिस्से को आजमाने का काम सरकारें करती रहती हैं, अफसर भी करते हैं कि फूट डालो, राज करो, सामने वाला तो अपने आप ही केकड़ा चाल में फंसकर खत्म हो जाएगा। समय की नजाकत देखते हुए जितनी बार कुछ नेताओं ने अपने रंग बदले हैं, उससे तो लगता है कि गिरगिट को किसी कोर्ट में ऐसे लोगों पर मानहानि का मुकदमा दायर कर देना चाहिए, आखिर उसके हक हिस्से का रंग बदलू काम किन्हीं और लोगों ने (नेताओ)  कैसे हथिया लिया। लेकिन यह गिरगिट की महानता ही है कि उन्होंने ऐसे लोगों को अदालती मामले में नहीं घसीटा और घसीट के करता भी क्या सलमान खान जेसे केस चलकर कुछ वर्षो में बाइज्जत बरी हो जाता ! उसे इस बात का फक्र भी है कि उसने अपना धर्म नहीं बदला, भले ही देश के आम लोगों का हक चूसकर मुटियाने वाले भ्रष्टाचारी अपना धर्म-ईमान बदलते रहें है !अब आप इसे मजाक में ले रहे हो मगर हमारे देश की सबसे गंभीर असाध्य समस्या है अब आम प्रजा को जागरूक होना होगा ! राजनीती का आज की सियासत ने क्या स्वरुप बना दिया ! साफ़ सुथरी सफ़ेद "खादी" को भी दागदार और कुरूप बना दिया जो नीति रची गयी थी देश और जनता के हित के लिए आज वही राजनीती तरस रही है अपने असली औचित्य के लिए राजनीती का असल औचित्य लौटना है, प्रजातंत्र में प्रजा का हित लौटाना है चेहरों की खोई दमक लौटाना है, खादी की खोई चमक लौटाना है ! वर्तमान में जिस प्रकार की राजनीति क परिस्थितियाँ देश में उत्पन्न की जा रही हैं उसमे साम्प्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता शब्द का बोलबाला है, अपने फायदे ले किये टोपी पहनने तथा पहनाने की बात अब पुरानी हो गयी है.! परम्परागत राजनीति में विशेष भाषा, परिधान और संस्कृति का दिखावी पोषण राजनीति शोषण का आधार बना. इसी के साथ-साथ सेक्युलरबनने की होड़ में अल्पसंख्यक राजनीतिका स्वरुप भी तैयार किया गया.! लेकिन तथ्यात्मक सामाजिक सत्य साबित करते हैं कि अब तक की जा रही इस राजनीति ने सामाजिक ताने-बाने को न सिर्फ गहरी चोट पहुचाई है बल्कि एक गहरी खाई बनाने का काम किया है. ये चार शब्द ... राजनीति का मूल स्तम्भ बन चूका है जिसके बिना आज की राजनीती अधूरी है जेसे शादी के लिए सात फेरे बिना शादी का कोई वजूद नही वेसे ही इन चार मुद्दों के बिना आज की राजनीती अधूरी है

1 शोषित, 2 पीड़ित ,3 वंचित  4 दलित..आज की राजनीती इन्ही मुद्दों के इर्दगिर्द घुमती हुई नजर आएगी ! क्युकी राजनेताओ के स्वार्थ सिद्ध करने के लिए सिर्फ यही मुद्दे है ! भ्रष्टाचार (आचरण) की कई किस्में और डिग्रियाँ हो सकती हैं, लेकिन समझा जाता है कि राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार समाज और व्यवस्था को सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है। अगर उसे संयमित न किया जाए तो भ्रष्टाचार मौजूदा और आने वाली पीढ़ियों के मानस का अंग बन सकता है । मान लिया जाता है कि भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे तक सभी को, किसी को कम तो किसी को ज़्यादा, लाभ पहुँचा रहा है। राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार एक-दूसरे से अलग न हो कर परस्पर गठजोड़ से पनपते हैं। मौजूदा हालात में कोई भी राजनीतिक दल भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है.  

उत्तम जैन (विद्रोही )

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बचपन की यादे और आज

10 अगस्त 2016
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                 बचपन के दिन भी क्या                  क्या वो बचपन ..वो नादानिया               वो शरारते ..वो मनमानिया !               दादी की फटकार , दादा जी मार !               पापा का चांटा और माँ की पुचकार!   बचपन के दिन भी क्या वो बचपन ..वो नादानियावो शरारते ..वो मनमानिया ! दादी की

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बेटी है तो कल है

10 अगस्त 2016
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                  बोये जाते हैं बेटेपर उग जाती हैं बेटियाँ,खाद पानी बेटों कोपर लहराती हैं बेटियां,स्कूल जाते हैं बेटेपर पढ़ जाती हैं बेटियां,मेहनत करते हैं बेटेपर अव्वल आती हैं बेटियां,रुलाते हैं जब खूब बेटेतब हंसाती हैं बेटियां,नाम करें न करें बेटेपर नाम कमाती हैं बेटियां,......क्यों की में अपने बेट

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लोभ व् क्रोध है नर्क के द्वार

11 अगस्त 2016
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क्रोध विवेक को नष्ट कर देता है, प्रीति को नष्ट कर देता है। क्रोध जब व्यक्ति को आता है तो वह बेभान हो जाता है, उसे करणीय-अकरणीय का विवेक नहीं रहता, वह प्रीति को समाप्त कर देता है। प्रेम को नष्ट कर देता है। क्रोधी व्यक्ति में विवेक नहीं रहता तो विनय भी नहीं रहता। मान, विनय को नष्ट कर देता है। अभिमान म

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राजनितिक पार्टिया और भ्रष्टाचार

11 अगस्त 2016
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दिनों दिन पनपती यह गंभीर समस्या

11 अगस्त 2016
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आज वर्तमान में हमारे देश की सबसे गंभीर समस्या तेजी से पनप रही है वह है तलाक नामक बीमारी ! जो व्यक्ति या नारी इस बीमारी से गुजरा है या गुजर रहा है तलाक नाम सुनते ही खुद अपने आपको दुर्भाग्यशाली समझने लग जायेगा ! आखिर यह समस्या क्यों पनप रही है ! आज क्यों अदालतो में हजारो लाखो इस तरह के केस लंबित पड़े

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एक नारी की पीड़ा - मेरी जुबानी

12 अगस्त 2016
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मित्रो में आज एक ऐसे विषय पर अपने विचार प्रेषित कर रहा हु जो आज की सबसे बड़ी समस्या है कुछ दिनों पूर्व मेरे एक पत्रकार मित्र के साथ बेठा था उसने उसे प्राप्त एक किशोरी के खत की चर्चा की मेरे मानस पटल पर यही बात बात बार बार आ रही थी ... मेने सोचा अपने विचारो को ब्लॉग, फेसबुक , व्हट्स अप के सभी पा

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ये भटकता मन

25 अगस्त 2016
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मन एक ऐसी शक्ति है जो आपको एक सेंकंड में कहा से कहा तक हजारो मील की यात्रा करा देता है !हम अपने घर पर बेठे देहली , अमेरिका तक की यात्रा मन से क्षणों में कर के आ जाते है ! इसे हम कह सकते भटकता मन ! मनुष्य का मन कितनी जल्दी भटकता है । ये नही तो

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हरियाणा विधानसभा सम्बोधन सोशल मीडिया में जंग

2 सितम्बर 2016
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सोशल मीडिया में जंग छिड़ी । हरियाणा विधानसभा के सत्र के पहले दिन जैन मुनि आचार्य तरुण सागर जी के प्रवचन को लेकर जबरदस्त विवाद छिड़ा । उनके प्रवचन को कड़वे वचन का नाम दिया गया था और सभी पार्टियों के विधायकों ने पूरी तन्मयता से उनकी बातें सुनीं थी । उनके प्रवचन को लेकर

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एक सच्ची एवं निष्कपट- क्षमा याचना

2 सितम्बर 2016
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क्षमा मांगना एक यान्त्रिक कर्म नहीं है बल्कि अपनी गलतियों को महसूस कर उस पर पश्चाताप करना है । पश्चाताप में स्वयं को भाव होता है । ताकि हम अपनी आध्यात्मिक यात्रा आगे बढ़ा सकें । भूल करना मानव की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है; हम सभी भूल करते

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जैनधर्म के पर्युषण देता मधुरता व् मेत्री का सन्देश

3 सितम्बर 2016
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श्वेताम्बर सम्प्रदाय प्रति वर्ष की भाँति आत्म जागरण का महापर्व पर्युषण चल रहे हैं। व् दिगंबर सम्प्रदाय में शुरू होने वाले है यह पर्व क्षमा और मैत्री का संदेश लेकर आया है। खोलें हम अपने मन के दरवाजे और प्रवेश करने दें अपने भीतर क्षमा और मैत्री की ज्योति किरणों को। तिथि

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सफलतम जीवन की कुंजी – आदमी को कितनी ज़मीन चाहिए?

4 सितम्बर 2016
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में एक दिन रात्री के दुसरे प्रहर यानी करीब एक बजे में कुछ विचारो में खोया हुआ था नींद नही आ रही थी तो मन को शांत व् एकाग्रचित करने के लिए एक पुस्तक पढने बेठ गया पुस्तक हाथ में लगी रूस में एक बहुत बड़े लेखक इतने बड़े कि सारी दुनिया उन्हें जानती है। उनका नाम था लियो टॉल्स्टॉय, पर हमारे देश में उन्हे

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बेशक दंगल बेहतरीन फिल्म लेकिन नॉनवेज को बढ़ावा देने के आमिर के प्रयास घृणित

5 जनवरी 2017
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इन दिनों दंगल फ़िल्म की चर्चा सर्वत्र सुनी जा रही हैं, तो जा पहुंचे हम आज सूरत के 'V.R मॉल' के 'INOX' मल्टीप्लेक्स में, जहां प्रातःकालीन शो में आमिरखान, साक्षी तंवर आदि अदाकारों द्वारा अभिनित 'दंगल' फ़िल्म देखन

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पर्यावरण का करना ख्याल

4 जून 2017
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एक वृक्ष दस पुत्रो के समान होता है, अतः अगर हम एक वृक्ष काटते है तो हमे दस मनुष्यों की हत्या का पाप लगता है। इसलिए हमने वायु प्रदान करने वाले वृक्ष को नही काटना चाहिए। जल, थल और आकाश मिलकर पर्यावरण को बनाते हैं। हमने अपनी सुविधा के लिए प्रकृति के इन वरदानों का दोहन किया,

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