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एक सच्ची एवं निष्कपट- क्षमा याचना

2 सितम्बर 2016

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क्षमा मांगना एक यान्त्रिक कर्म नहीं है बल्कि अपनी गलतियों को महसूस कर उस पर पश्चाताप करना है । पश्चाताप में स्वयं को भाव होता है । ताकि हम अपनी आध्यात्मिक यात्रा आगे बढ़ा सकें । भूल करना मानव की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है; हम सभी भूल करते हैं। परंतु उन्हें दोहराने का यह औचित्य नहीं हो सकता। हमे अपनी भूल का अहसास हो गया है यह दिखाने की केवल दो विधियाँ हैं। पहली विधि है कि भूल को ना दोहराएं और दूसरी एक सच्ची क्षमा याचना द्वारा।सही ढंग से क्षमा मांगना कोई विशेष कला या ज्ञान नहीं। यह तो केवल इस पर निर्भर है कि आप स्पष्ट रूप से सत्य बोल पाते हैं कि नहीं। जब हमे वास्तव में अपने कार्य पर पछतावा होता है, तो सही शब्द स्वत: ही बाहर आने लगते हैं और क्षमा मांगना अत्यंत सरल हो जाता है।वास्तव में क्षमा याचना विश्वास का एक पुनःस्थापन है। इस के द्वारा आप यह कह रहे हैं कि मैं ने एक बार आप का विश्वास तोड़ा है किंतु अब आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं और मैं ऐसा फिर कभी नहीं होने दूँगा। जब हम एक भूल करते हैं, तो दूसरे व्यक्ति के विश्वास को झटका लगता है। अधिकतर सकारात्मक भावनाओं की नींव विश्वास ही होती है।जब आप किसी से प्रेम करते हैं, तो आप उन पर विश्वास करते हैं कि वे वास्तव में वैसे ही हैं जैसा वे स्वयं को दर्शाते हैं। किंतु जब वे उसके विपरीत कार्य करते हैं, तो आप का विश्वास टूट जाता है। इस विश्वासघात से आप को बहुत कष्ट होता है और यह दूसरे व्यक्ति के प्रति आप की भावनाओं को भी प्रभावित करता है।यदि आप अपराध को दोहराने का विचार कर रहें हैं, तो ऐसी क्षमा याचना विश्वसनीय नहीं है।इसी प्रकार यदि आप किसी के विश्वास को तोड़ते हैं संभवत: वह आप को एक बार क्षमा कर सकते हैं। परंतु यदि आप ऐसा फिर से करते हैं तो आप उनसे क्षमा की आशा नहीं कर सकते। इसलिए, एक निष्ठाहीन क्षमा याचना सम्पूर्ण रूप से व्यर्थ है। तो आप पूछेंगे कि एक निष्कपट क्षमा याचना क्या है?एक सच्ची क्षमा याचना में “यदि” और “परंतु” जैसे शब्दों का कोई स्थान नहीं होता। यह कहना कि आप ने ऐसा क्यों किया इसका भी कोई अर्थ नहीं। सर्वश्रेष्ठ क्षमा याचना वह है जहाँ आप यह पूर्ण रूप से समझें, महसूस करें तथा स्वीकार करें कि आप के कार्यों ने अन्य व्यक्ति को ठेस पहुँचाया है। एक कारण या औचित्य दे कर अपनी क्षमा याचना को दूषित न करें। यदि आप सच्चे दिल से क्षमा नहीं मांगते हैं तो आप अपनी क्षमा प्रार्थना का नाश कर रहे हैं। इस से दूसरे व्यक्ति को और अधिक कष्ट होगा। आप एक क्षमा याचना अथवा एक बहाने में से केवल एक को ही चुन सकते हैं, दोनों को नहीं।क्षमा याचना विश्वसनीय तभी होती है जब आप यह ठान लें कि आप अपने अपराध को दोहरायेंगे नहीं और जब आप कोई बहाना या औचित्य नहीं देते हैं। आप अपने कार्य का पूरा उत्तरदायित्व लेते हैं और सच्चे दिल से आप क्षमा मांगते हैं। पश्चाताप की भावना से रहित क्षमा याचना व्यर्थ है। वास्तव में, इस से दूसरे व्यक्ति को और अधिक कष्ट होगा। अक्सर लोग कहते हैं, “मुझे क्षमा करें परंतु मैं ने ऐसा सोच कर यह काम किया था…”, अथवा “मुझे क्षमा करें परंतु मैं ने यह कार्य इस कारण किया था…” अथवा “मुझे क्षमा करें यदि मेरे कारण आप को कोई चोट पहुँची हो”। ये क्षमायाचना नहीं केवल बहाने हैं।जैन दर्शन के अनुसार वास्तव में क्षमावाणी के पीछे अपनी कमियां, कमजोरी व मतलब के कारण दूसरों को हानि पंहुचाने की वृति को बदलना है । हम इस तरह की गलतियां बार-बार किन कारणों से करते आये हैं । उनको पहचान कर अपनी आदतों को बदलना है । यह एक तरह से स्वयं का परीक्षण करना है । अर्थात क्षमा मांगने से पूर्व अपने दोषों का ज्ञान होना आवश्यक है ।मुझे गलती का ज्ञान नही है यानि मुझे उसका एहसास नही है तो फिर मैं किस बात की क्षमा मांगता हुं । मात्र शब्दों के सहारे सम्बन्ध बढ़ाना क्षमा मांगने का लक्ष्य नहीं है । अनजानी गलतियों सम्बन्ध माफी की बात बड़पन दर्शाने की चतुराई तो नहीं है ।यान्त्रिक रूप से क्षमा मांगना सम्पर्क बढ़ाने का साधन है । कार्ड भेजना, एसएमएस करना व ई-मेल भेजना क्षमा मांगना नहीं है । बल्कि एक औपचारिकता पुरी करना है ।एक सच्ची एवं निष्कपट क्षमा याचना वह होती है जिस में आप अपने अपराध को पूर्ण रूप से स्वीकार करते हैं। उत्तम जैन (विद्रोही )
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10 अगस्त 2016
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बेटी है तो कल है

10 अगस्त 2016
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                  बोये जाते हैं बेटेपर उग जाती हैं बेटियाँ,खाद पानी बेटों कोपर लहराती हैं बेटियां,स्कूल जाते हैं बेटेपर पढ़ जाती हैं बेटियां,मेहनत करते हैं बेटेपर अव्वल आती हैं बेटियां,रुलाते हैं जब खूब बेटेतब हंसाती हैं बेटियां,नाम करें न करें बेटेपर नाम कमाती हैं बेटियां,......क्यों की में अपने बेट

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लोभ व् क्रोध है नर्क के द्वार

11 अगस्त 2016
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राजनितिक पार्टिया और भ्रष्टाचार

11 अगस्त 2016
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दिनों दिन पनपती यह गंभीर समस्या

11 अगस्त 2016
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आज वर्तमान में हमारे देश की सबसे गंभीर समस्या तेजी से पनप रही है वह है तलाक नामक बीमारी ! जो व्यक्ति या नारी इस बीमारी से गुजरा है या गुजर रहा है तलाक नाम सुनते ही खुद अपने आपको दुर्भाग्यशाली समझने लग जायेगा ! आखिर यह समस्या क्यों पनप रही है ! आज क्यों अदालतो में हजारो लाखो इस तरह के केस लंबित पड़े

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एक नारी की पीड़ा - मेरी जुबानी

12 अगस्त 2016
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मित्रो में आज एक ऐसे विषय पर अपने विचार प्रेषित कर रहा हु जो आज की सबसे बड़ी समस्या है कुछ दिनों पूर्व मेरे एक पत्रकार मित्र के साथ बेठा था उसने उसे प्राप्त एक किशोरी के खत की चर्चा की मेरे मानस पटल पर यही बात बात बार बार आ रही थी ... मेने सोचा अपने विचारो को ब्लॉग, फेसबुक , व्हट्स अप के सभी पा

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25 अगस्त 2016
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मन एक ऐसी शक्ति है जो आपको एक सेंकंड में कहा से कहा तक हजारो मील की यात्रा करा देता है !हम अपने घर पर बेठे देहली , अमेरिका तक की यात्रा मन से क्षणों में कर के आ जाते है ! इसे हम कह सकते भटकता मन ! मनुष्य का मन कितनी जल्दी भटकता है । ये नही तो

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2 सितम्बर 2016
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जैनधर्म के पर्युषण देता मधुरता व् मेत्री का सन्देश

3 सितम्बर 2016
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श्वेताम्बर सम्प्रदाय प्रति वर्ष की भाँति आत्म जागरण का महापर्व पर्युषण चल रहे हैं। व् दिगंबर सम्प्रदाय में शुरू होने वाले है यह पर्व क्षमा और मैत्री का संदेश लेकर आया है। खोलें हम अपने मन के दरवाजे और प्रवेश करने दें अपने भीतर क्षमा और मैत्री की ज्योति किरणों को। तिथि

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5 जनवरी 2017
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4 जून 2017
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