विज्ञापन विज्ञान - व्यंग्य
यह विज्ञापनों का देश था।कुछ विज्ञापन देकर कमाते थे, कुछ लेकर।गली, मोहल्ले, बाजार, स्कूल, पेड़, पौधे, सार्वजनिक सुविधा घर यहां तक कि दूसरों की फेसबुक दीवार और रोटी पर तक लोग विज्ञापन लगाने से नहीं चूकते थे। जो लोग विज्ञापन नहीं लगवाना चाहते थे वे भी अपनी दीवारों पर विज्ञापन देकर लिखते थे कि यहां विज्ञ