रमेश देवासी
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तकाजा है वक्त का तूफां से झुजो तुम कहाँ तक चलोगे दरिया ( समुद्र ) के किनारे किनारे अगर गोहर ( हिरे ) कि तमन्ना है तो दरिया में उतरना ही होगा यूं तो साहिल (किनारे) पे चलने से कंकर पत्थर ही मिला करते हैं।