डार्विन अच्छा किया तुमने
बता दिया कि हम बंदर थे
अब कह सकूंगा खुदा से
इंसानों को फिर से बंदर कर दे
ना देना दोबारा ऐसा दिमाग
इसकी बुद्घि को भी बंजर कर दे
ताकि ना पनप सके फिर राष्ट्रवाद
इस कमजर्फ नें धरती को लाल कर दिया
सिर्फ दो सौ सालों में लाशों से पाट दिया
देखते ही देखते इसनें दुनिया को
कंटीली बाड़ों में बांट दिया
जब से यह प्रेत आया
धरती नें हिटलर देखे
मौत के गैस चेंबर देखे
दो दो महा युद्ध देखे
नागासाकी- हिरोशिमा को पिघलते देखे
इंसानों को भाप बनते देखे
वियतनाम देखे, इराक देखे
फिलस्तीन में मासूमों के चीथड़े देखे
न होता यह राष्ट्रवाद
न बंटती यह धरती
न गरजती बंदूकें
न जमता कोई सियाचीन में
न जलता कोई सहारा की रेत में
कर सकता हर कोई यात्राएं
धरती के इस छोर से उस छोर तक
बची रह जाती थोड़ी इंसानियत
प्यास खून की नहीं पानी की होती
न होता यह राष्ट्रवाद तो
हम भी पंछी जैसे होते