बड़े नाजुक होते हैं रिश्ते,
देर नहीं लगती इन्हें दरकते,
रिश्तों को निभाने वाले होते हैं फरिश्ते।
कभी आने न देना रिश्तों में दरार,
तभी शकुन देगा घर-परिवार,
सुखद स्वर्ग-सा होगा यह संसार।
कटु वाणी और अहंकार का करो त्याग,
ये दोनों ही लगाते हैं रिश्तों में आग,
उजाड़ देते हैं प्रेम से सिंचित बाग।
स्वार्थ को रिश्तों के पास न फटकने दो,
निज स्वार्थ में मन को न भटकने दो,
बरसों के प्रेम को न छिटकने दो,
रिश्तों को यों न दरकने दो,
कवि 'सूरज' कहे रिश्तों में प्रेम बरसने दो।
जिससे जीवन में आनंद की गंगा बहे,
करो जतन ऐसा एक बार बना रिश्ता;कभी न ढहे।
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#सूरजशर्मामास्टरजी
ग्राम-बिहारीपुरा, जिला-जयपुर, राजस्थान 303702