24 दिसम्बर 2015
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मै चिंतनशील हूँ। ज्ञान की तलाश में पढ़ने लिखने का शौक रखता हूं।D
लेना और देना दोनो ही अपराध हैं !
28 दिसम्बर 2015
दोनों ही , लेकिन आज भी कई जगह रिश्वत के बिना काम नहीं होता है
<p>रिश्वतलेनाऔरदेना दोनोंहीअपराधकीश्रेणी में आते है !! </p>
26 दिसम्बर 2015
जी बिलकुल है।
इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है। देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से जाति भेद की, धर्म-वेश की काले गोरे रंग-द्वेष की ज्वालाओं से जलते जग में इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥ नये हाथ से, वर्तमान का रूप सँवारो नयी तूलिका से चित्रों के रंग उभारो नये राग को नूत
हम पंछी उन्मुक्त गगन के / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’हम पंछी उन्मुक्त गगन केपिंजरबद्ध न गा पाएँगे,कनक-तीलियों से टकराकरपुलकित पंख टूट जाऍंगे।हम बहता जल पीनेवालेमर जाएँगे भूखे-प्यासे,कहीं भली है कटुक निबोरीकनक-कटोरी की मैदा से,स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन मेंअपनी गति, उड़ान सब भूले,बस सपनों में देख रहे हैं
भारत में विशाल श्रम शक्ति होते हुए भी यहां की सरकार इस विशाल युवाशक्ति को रोजगार से परे रखती है, हमारी तर्क कहाँ तक सही है कि मशीनों के प्रयोग के कारण ही अत्यधिक बेरोजगारी का सृजन हुई है?
हमारे देश की लोकतंत्र कहाँ तक सुरक्षित है? यदि लोकतंत्र भंग हो रही ही तो कौन जिम्मेवार है? पुनर्व्यवस्थित करने के लिए क्या कदम उठाये जाएं?