मांग रही कुर्बानी माता
मांग रही कुर्बानी फिर सेकण-कण से आ रही पुकार हैचरणों में शीश चढ़ाने कोकब से हम तैयार हैंलगे हाथ से हाथ मिलाकरतुम भी अब कदम बढ़ाओमांग रही कुर्बानी माताशीश की अब भेंट चढ़ाओलगी जेहन में एक आग अग्न सीपगड़ी सर पे बांध कफ़न कीमर के भी जीने को तैयार हैंमांग रही कुर्बानी माताकण-कण से आ रही पुकार हैदम भी तूझमें क