20 दिसम्बर 2015
<p><span style="color: rgb(41, 47, 51); font-family: Arial, sans-serif; font-size: 26px; letter-spacing: 0.26px; line-height: 32px; white-space: pre-wrap; background-color: rgb(245, 248, 250);">चुनाव प्रचार में गंगा की बदहाली पर घड़ियाली आंसू बहाने वाले हमारे प्रधानमंत्री जी ने माँ गंगा को भूला ही दिया है।</span></p>
15 जनवरी 2016
जब तक मोदी है तो सलामत ही रहेगा क्या ?
15 जनवरी 2016
<p>नहीं</p><br>
13 जनवरी 2016
<p>लोकतंत्र पर प्रश्न उठाया जा सका है </p>यही लोकतंत्र की सलामती की निशानी है
26 दिसम्बर 2015
<p>सीता राम जी ! बहुत ही बिचार योग्य प्रशन लोकतंत्र भंग होने की जिम्मेदार सारी पार्टियाँ हैं क्यों की लोकसभा हो या राज्यसभा पार्टिया विरोध सत्ता पार्टी का करती है कभी बीजेपी कर रही थी अब वही कांग्रेस कार रही है जनता की किसी भी पार्टी को कोई चिता नहीं है सभी को अपनी जीत वा चुनाव की चिंता है सभी जनता को मूर्ख बनती है </p>
22 दिसम्बर 2015
सीताराम जी बहुत ही गहन व चिंतन का विषय है ये .... जहां तक मुझे दिख रहा है हमारे लोकतंत्र के भंग होने का जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस पार्टी की राज माता है जो विधान सभा को चलने ही नहीं डे रही है अगर विधान सभा चलती है और नए कानन पारित हो गए तो माता जी का क्या होगा .... ये अपने काले कारनामों या घोटालों मैं इतना आगे निकल चुकी है की उनको देश की पड़ी ही नहीं है वसे भी उसको हमारे देश की पहले भी नहीं पड़ी थी .... जो इतने घोटालों के बाद भी सीना तानकर जश्न मना सकती है वो कुछ भी कर सकती है .... लोकतंत्र को पुनः वयवस्तीत करने के कदम कैसे उठेंगे जब तक ये ब्रष्टाचारी अपोजिशन मैं रहेंगी .....
21 दिसम्बर 2015