आज हम सब अपने स्वार्थ और अकेलेपन में इतने डूब गए हैं की हम सभी लोगो को अपने वो प्रेम भरे रिश्तों का एहसास और समरसता का भाव दिखना बंद हो गया है ..
4 अक्टूबर 2015
आज हम सब अपने स्वार्थ और अकेलेपन में इतने डूब गए हैं की हम सभी लोगो को अपने वो प्रेम भरे रिश्तों का एहसास और समरसता का भाव दिखना बंद हो गया है ..
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मैं एक इंजीनियर हूँ और इसके साथ साथ अपनी ख़ुशी के लिए पिछले ८ साल से ग़ज़ल और शायरी की खुद रचना करता हूँ ।D