ज़िन्दगी के लम्हें
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आज हम सब अपने स्वार्थ और अकेलेपन में इतने डूब गए हैं की हम सभी लोगो को अपने वो प्रेम भरे रिश्तों का एहसास और समरसता का भाव दिखना बंद हो गया है ..