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रोशनी बहादुर लड़की। भाग 8।

26 अगस्त 2023

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तभी अचानक नृत्य कॉलेज से फोन आता है कल्पना घबराई हुई आवाज में रोशनी तुम कहां हो तुम जल्दी से कॉलेज आ जाओ 
यहां एक बड़ी दुर्घटना हो गई है सड़क दुर्घटना में पल्लवी की आंखें चली गई है उसे हमने अस्पताल में भर्ती कराया है
 बस तू जल्दी से आओ
 डॉक्टर साहब कहते हैं इसकी दोनों आंखें चली गई है अब यह कभी देखा नहीं सकती 
पल्लवी के परिवार वाले भी बाहर खड़े हैं उन्हें में क्या जवाब दूं  मुझे बहुत डर लग रहा है बस जल्दी से तू आजा रोशनी कुछ बोल ना सकी वह चुप थी और उसके हाथों से मोबाइल छुटकी गिर जाती है

 और वह दौड़ते हुए अस्पताल आती है और वहां वह पल्लवी को देखते है पल्लवी जो रोशनी की एक स्टूडेंट है उसकी यह दशा देखकर उसे बहुत दुख होता है डाक्टर साहब जब बाहर निकलते हैं तब रोशनी पूछती है पल्लवी की हालत अब कैसी है डॉक्टर साहब डॉक्टर कहते हैं उसके सर में भारी चोट लगा है और उसकी दोनों आंखें चली गई है अब वह कभी देखा नहीं सकेगी यह सुनकर रोशनी धड़म से नीचे गिर जाती है रोशनी बेहोश हो जाती है और कुछ समय बाद जब उसे होश आता है तो वह फिर पल्लवी को देखने वार्ड में जाती है पल्लवी चुपचाप बेड पर लेटी हुई रहती है पल्लवी को देखकर रोशनी बहुत रोती है इतने में ही पल्लवी के परिवार वाले आते हैं और वह पल्लवी की हालत देखकर दुखी होते हैं रोशनी अपनी आंखें पोछती हुई कहती है जो कुछ हुआ वह खुद की मर्जी है खुदा की मर्जी के हम लोग क्या कर सकते हैं 
अब हमें दुखी नहीं होना चाहिए बल्कि पल्लवी के साथ मिलकर खुश रहना चाहिए और उसे खुशियां देनी चाहिए कुछ दिन पल्लवी अस्पताल में भर्ती रहती है महज 8 से 10 दिनों के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी मिलती है सब उसको लेकर घर आते हैं एक दिन पल्लवी अपने पापा से कहती है पापा मैं नित्य कॉलेज जाना चाहती हूं महिनो से मैं कॉलेज नहीं गई हूं मुझे रोशनी दीदी से मिलना है वहां मेरी सारी दोस्त है उनसे भी मिलना है
 मुझे ले चलो ना पल्लवी के पापा कहते हैं नहीं बेटा तू कभी नृत्य कॉलेज नहीं जाएगी लेकिन पल्लवी जीद करती है तो उसकी मां कहती है एक बार लेकर जाइए ना उसे इसका दिल बहल जाएगा पल्लवी के पापा पल्लवी को नृत्य कालेज लेकर जाते हैं वहां रोशनी पल्लवी को देखकर बहुत खुश होती है और ढेर सारी बातें करती है

पल्लवी पूछती है रोशनी दीदी जिसके पास आंखें नहीं होती क्या वह अच्छी डांसर नहीं बन सकती मैं भी डांसर बनूंगी मेरे पास आकर नहीं है तो क्या हुआ मैं डांस करूंगी और देखिएगा दीदी मैं सबसे अच्छी डांसर बनूंगी रोशनी मुस्कुराती है और उसकी तरफ देखते उसकी आंखों में आंसू आ जाते और कहती यहाँ तु ज़रूरी एक अच्छी डांसर बनेगी मैं तुझे डांस सिखाऊंगी तुम आज से दोबारा से अपना डांस क्लास ज्वाइन कर

 पल्लवी दोबारा से नृत्य कालेज ज्वाइन कर लेती है और एक दिन पल्लवी रोशनी से पूछती है क्या रोशनी दीदी अब मैं कभी नहीं देख पाऊंगी 
जब मेरे दोस्त लोग कोई चीज देखकर बहुत खुश होते हैं तो मुझे भी उन चीजों को देखने का मन करता है
 मैं इस तरह से नहीं की शक्ति दीदी मैं आभार चुकी हूं मुझे देखना है मुझे फिर से दुनिया देखनी है दीदी वही प्यारी प्यारी चीज मुझे आज भी याद आती है क्या मैं नहीं देख सकती मेरी अंतर आत्मा मुझे जब छोड़ रही है दी मुझे आंखें काश भगवान देती थी भगवान ने मेरे साथ ऐसा ना इंसाफी क्यों किया लोग कहते हैं भगवान बच्चों के साथ नाइंसाफी नहीं करते मैं भी तो बच्ची हूं ना मेरे साथ फिर ऐसा क्यों हुआ अच्छा दीदी एक बात बताओ क्या मैं भगवान जी की मंदिर में जाकर उनसे मांगू अपनी आंखें तो वह दे देंगे 
मम्मी कहती है भगवान जी से जो भी कुछ मांगा जाता है वह दे देते हैं क्या यह सच है अगर सच है तो आज ही जाती हूं मंदिर और भगवान जी से अपने लिए आंखें मांग लेती हूं

रोशनी कहती है हां पल्लवी भगवान किसी के साथ ना इंसाफी नहीं करते हैं भगवान बहुत बड़े हैं उनसे तुम जो भी कुछ मांगेगा वह तुम्हें दे देंगे और किसने कहा तुम्हारे पास आंखें नहीं है और किसने कहा कि तुम दोबारा नहीं देख सकती तुम जरूर देखोगी तुम मेरी आंखों से पूरी दुनिया देखोगी पल्लवी तुझे मैं पूरी दुनिया को दोबारा से दिखाऊंगी रोशनी कि यह बातें पल्लवी की मन में एक उम्मीद जगा दी वह बहुत खुश होती है

पल्लवी कि बातें सुनकर रोशनी बहुत बेचैन हो जाती है और वह पूरी रात सो नहीं पाती है वह पूरी रात यही सोचती है कि पल्लवी की आंखें दोबारा से कैसे आ जाए और वह सुबह जल्दी उठकर अस्पताल जाती है 
और डॉक्टर साहब से पूछतीं है डॉक्टर साहब क्या कोई रास्ता नहीं है पल्लवी की आंखें दोबारा लाने का डॉक्टर साहब कहते हैं 
है ना एक रास्ता अगर कोई पल्लवी को अपनी आंखें डोनेट करदे  तो वह दुनिया देख सकती है रोशनी कहती है यह तो बहुत अच्छा है डॉक्टर साहब तो फिर आप मेरी ही आंखें ले लीजिए
 और  पल्लवी को दे दीजिए वह तभी बहुत छोटी है उसे पूरी दुनिया देखना है
 डॉक्टर साहब हंसते हैं और कहते हैं तुम पागल हो गई हो कोई अपनी आंखें किसी को नहीं देता तुम क्यों दे रही हो हम ऐसा नहीं कर सकते किसी जिंदा व्यक्ति की आंखें नहीं निकाली जाती है पर रोशनी बार-बार कहती है नहीं डॉक्टर साहब मेरी आंखें ले लीजिए और उसे आंखें दे दीजिए 
डॉक्टर उसे बहुत समझते हैं फिर भी रोशनी जिद करती है
डॉक्टर कहते हैं नहीं रोशनी ऐसा नहीं हो सकता तुम जो मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता हूं रोशनी वहां से हार कर वापस चली आती है
वहां से जाने के बाद वह सब केशव चाचा को बताती है केशव चाचा को यह सब सुनकर अफसोस होता है और वह कहते हैं रोशनी तुम चिंता मत करो तुम्हारी समस्या का समाधान अवश्य होगा 
अब वह समय आ गया है बेटी जब तुझे एक बात बतानी है मैं बहुत समय से तुमसे एक बात छुपा के रखी थी आज वक्त आ गया है तुझे बताने का मैं तुझे एक बात बताता हूं चल तू मेरे साथ केशव चाचा उसे अपने साथ लेकर आते हैं अपने घर पर बिठाते हैं और कहते हैं रोशनी मुझे ब्लड कैंसर हुआ है मैं कुछ ही दिनों का मेहमान हूं मेरा कैंसर तीसरे स्टेज पर पहुंच चुका है मैं बहुत दवा करी पर डॉक्टर कहते हैं यह ठीक नहीं होगा मै कुछ दिन का मेहमान हूं और मेरी मरने के बाद मेरी आंखें पल्लवी को तुम दे देना 

रोशनी स्तब्ध रह जाती है वह पूछती है नहीं आप ठीक हो जाएंगे आप यह क्या कह रहे हैं आप झूठ बोल रहे हैं ना हमसे आप ऐसा मजाक हमसे कैसे कर सकते हैं  चाचा नहीं कह दीजिए यह सब मजाक है केशव चाचा हंसते हैं और कहते हैं नहीं बेटा यही सच है या मजाक नहीं है

 मुझे बहुत पहले तुझे बताने का मन था पर मैं यह सोचकर रुक गया था कि तू यह बातें सह नहीं पाएगी लेकिन मैं कब तक छुपाता है एक दिन तो बताना ही था ना और आज सही समय था इसलिए मैंने तुझे बता दिया और मेरी आखिरी ख्वाहिश यही है कि मेरे मरने के बाद मेरी आंखें पल्लवी को दे दी जाए

 रोशनी पूछती है क्या यह चाची जी को पता है केशव चाचा मुस्कुराते हुए  कहती हैं हां उन्हें सब पता है फिर वह कहती है क्या चाची भी मुझे नहीं बताई 
केशव चाचा कहते तुम्हारी चाची भी इस बात से डर रही थी कहीं यह सदमा तू बर्दाश्त ना कर पाए रोशनी बहुत दुखी होती है मानो उसे उसके साथ दुखों का पहाड़ टूट पड़ा वह पूरी तरीके से अब टूट चुकी थी लेकिन वह करती भी क्या

 वह केशव चाचा को लेकर अस्पताल जाती है डॉक्टर कहते हैं यह कुछ दिनों के मेहमान है इन्हें बचाना अब मुश्किल है रोशनी वापस आती है केशव चाचा कहते हैं सुन लिया ना तू अपने कान से सब कुछ 

अब हो गई ना तसल्ली रोशनी बेटा मेरी एक ख्वाहिश है क्या तू उसे पूरा करेगी मैं चाहता हूं मेरे मरने से पहले तू शादी कर ले अब तो तुम्हारे परिवार वाले भी मिल गए हैं तुम्हारी सगाई भी हो चुकी है तुम अपने परिवार वालों से बातें करके जल्दी से शादी कर लो तुम्हारा कन्यादान करके मैं चैन सी मर सकूंगा यह कह कर केशव चाचा रोशनी को अपनी गले से लगा लेते हैं रोशनी कहती है हां चाचा मैं आपकी ख्वाहिश जरूर पूरी करूंगी मैं  अपने परिवार वालों से बात करूंगी आखिर में भी तो आपकी बेटी हूं ना

 केशव चाचा कहते मेरी जाने के बाद अपनी चाची का ख्याल रखना रोशनी तुम एक बहादुर लड़की हो और मुझे भरोसा है कि तुम अपनी चाची का ख्याल बहुत अच्छे से रखोगी उन्हें कभी मेरा ख्याल नहीं आने दोगी वादा करो बेटी तुम ऐसा करोगी रोशनी की केशव चाचा से वादा करती है

वादा करने के बाद वह अपने घर आती है और अपने पिताजी से कहती है पिताजी मैं शादी करना चाहती हूं क्योंकि मेरी सगाई हो चुकी है तो अब मुझे शादी कर लेना चाहिए उसके पिताजी कहते हैं हां बेटा मैं भी कब से यही सोच रहा था कि अब तुम्हारी शादी हो जाए रोशनी अपनी शादी कर लेती है 
इस  शादी में मोहनदास सुमन केशव चाच रंजना रिंकी आलोक और कल्पना और कुछ स्टूडेंट ही शामिल होते हैं रोशनी की शादी हो जाती है शादी के कुछ दिन बाद ही केशव चाचा इस दुनिया को छोड़कर चले जाते हैं उनकी आंखें पल्लवी को मिल जाती है अब पल्लवी दोबारा से देख सकते लगी
 रोशनी को इस बात की खुशी है की पल्लवी की आंखें दोबारा से मिल गई लेकिन इस बात का बहुत दुख है कि उसकी केशव चाचा अब इस दुनिया में नहीं है वह अब बहुत  उदास रहने लगी 

केशव चाचा की मौत का सदमा वह बर्दाश्त नहीं कर सकी और वह कोमा में चली गई बहुत दिनों तक वह कोमा में रही कॉलेज की दशा तहस-नए सो चुकी थी सब कुछ बिखर गया था हमेशा हस्ती मुस्कुराती रहने वाली रोशनी और पूरी तरीके से शांत हो चुकी थी रोशनी की यह दशा चाची से देखी नही  जाती थी और उसकी दोस्त कल्पना भी बहुत अकेला महसूस करने लगी थी नृत्य कॉलेज की सभी स्टूडेंट बहुत उदास रहने लगी रोशनी की कोमा में जाने से उन लोगों को लगता था जैसे किसी एक युग का अंत हो गया है फिर एक दिन कल्पना ने सोचा आखिर ऐसी कब तक चलेगा रोशनी को नृत्य से बड़ा प्यार था उसकी इस काम की बागडोर हमें अपने हाथ में लेनी होगी मैं उसके नृत्य कालेज को इस तरह से तरसनस नहीं होने दूंगी मैं कुछ करूंगी रोशनी के खाते रोशनी ने सब की खातिर बहुत किया है अब मैं रोशनी की खातिर कुछ करूंगी कल्पना रोशनी की कॉलेज को चलने लगती है हालात धीरे-धीरे सुधर जाती है लेकिन एक बार एक प्रतियोगिता रखी जाती है कई कॉलेज इसमें शामिल होते हैं इस प्रतियोगिता में कल्पना को परफॉर्म करना रहता है लेकिन जिस दिन इसका परफॉर्मेंस होना रहता है उसी दिन एक सड़क दुर्घटना में उसके टांगों में चोट आ जाती है और कॉलेज की इज्जत तों  दांव पर लगी होती है सब यही सोच रहे होते हैं परफॉर्म कौन करेगा कॉलेज की पूरे स्टूडेंट हैरान रहते हैं सब अपने-अपने तरीके से कोई उपाय सोच रहे होते हैं और सबको लगता है उनका कॉलेज हार जाएगा पल्लवी रोशनी के पास आती है और कहती है दीदी लगता है आज आपका कॉलेज हार जाएगा क्योंकि कल्पना दीदी के पैर में चोट लग गई है वह परफॉर्म नहीं कर सकेंगे मैं ऐसा नहीं चाहती हूं दीदी प्लीज आप उठ जाओ प्लीज 
पल्लवी की बातें रोशनी को छत छोड़ देती है उसकी यह बातें रोशनी को दवा और दुआ की तरह काम करती है रोशनी उठ जाती है और परफॉर्म करती है उसका कॉलेज जीत जाता है
क्रमशः


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रचनाएँ
रौशनी इक बहादुर लड़की
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यह कहानी पुरी तरह काल्पनिक है अगर यह कहानी किसी व्यक्ति विशेष जाती समुदाय से मिलती है तो यह मात्र एक संयोग होगा मुझे विश्वास है कि यह कहानी आप लोगों Pको उतनी ही पसंद आएगी जितनी की बाकी की कहानियां पसंद आती है यह कहानी है एक लड़की की जो मध्यम वर्गी परिवार से संबंधित है बचपन में ही उसके पिता को अपाहिज हो जाने के कारण पूरे घर की जिम्मेदारी उसके कंधों के आ जाती है और वह अपनी सूझबूझ से और कठिन परिश्रम करके अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करती है
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