हमेशा हंसती मुस्कुराती मासूम सी बड़ी चंचल एक प्यारी लड़की जिसका नाम है रोशनी कपड़े की दुकान में काम करती है महीने का 9000 तनख्वाह मिलता है और बड़ी ईमानदारी से वह अपने काम को करती है इस तनख्वाह के साथ अपने पूरे परिवार के खर्च को उठाती है वह अपने माता-पिता दो बहनों एक भाई और एक दादी के साथ रहती है महज 16 साल की एक लड़की परिवार की सारी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती है परिवार में वह सबसे बड़ी बेटी है उसके भाई का नाम आलोक और बहन का नाम रंजना और दूसरी बहन का नाम रिंकी है मां का नाम सुमन और पिता का नाम मोहनदास है जो उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के एक छोटे से गांव में रहती है रंजना बीए की छात्रा है और रिंकी 11वीं में पढ़ती है और आलोक इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है भाई बहनों की कॉलेज की फीस पिता की दवाई घर का राशन सब चीज की जिम्मेदारी रोशनी के कंधे पर है
मा सिलाई का काम करती है जैसे तैसे करके घर का ख़र्च चल जाता है
लेकिन इन सब में रौशनी की पढ़ाई अंधुरी रह जाती
रौशनी केवल दसवीं कक्षा तक ही पढ़ सकी
चुकि रौशनी कुशाग्रबुद्धि की छात्रा थी पढ़ लिख कर डाक्टर बनना चाहती थीं
और वह अपने पिता से कहा करती थी देखना पापा मैं बड़ी होकर डाक्टर बनुगी
और गरीबों का मुक्त इलाज करुगी - बड़ा सा हास्पिटल बनवाऊंगी
हास्पिटल का नाम सुमन मोहनदास होगा
पर अचानक से रौशनी के पिता का सड़क दुर्घटना में एक्सीडेंट हो गया और रौशनी दसवीं के बाद पढ़ ना सकीं पढ़ाई बीच में छोड़कर घर की बांग डोर हाथ में ले लिया
पुरी शिद्दत और ईमानदारी से कपड़े के इक दुकान में रोशनी ने नौकरी कर ली
अब तो उसका इक ही सपना था कि इस घर के लोगों को कभी किसी चीज की तकलीफ़ नहीं होने दुगी मैं दिन रात मेहनत करुंगी और अपने परिवार को सुख चैन शिक्षा दुगी मेरे भाई बहन जो पढ़ेंगे पढ़ाऊंगी
पुरी तरह से अपने परिवार के लिए जीऊंगी
सोलह साल की बच्ची पुरी तरह परिवार को समर्पित है
अब इसे अपने लिए कुछ भी नहीं चाहिए
महीने के इकतिस तारिख को रौशनी की तनख्वाह मिलता है
उस दिन वह परिवार के सभी सदस्यों के लिए कुछ न कुछ जरूर लें आतीं हैं और गणेश भगवान के लिए लड्डू लाना कभी नहीं भुलती है क्योंकि वह कहती हैं गणेश भगवान उसके छोटे भाई है लेकिन अपने लिए कुछ भी नहीं लाती
क्योंकि सबके लिए खरिदारी करने के बाद उसका ध्यान जब बजट पर जाता है तो वह रूक जाती है और अपने लिए बिना कुछ लिए ही लौट आतीं हैं
वह हमेशा बहुत खुश रहतीं हैं कभी कोई शिकायत नहीं करती ना ही भगवान से ना परिवार से और ना ही दुनिया से
वह हमेशा कहती हैं जो होता है अच्छे के लिए होता है
इक दिन जब उसे उसकी तनख्वाह मिली तो वह अपने पिता के लिए जुते लेकर आई और कहने लगी पापा मैं घर की तरफ आ रही थी तो अचानक से मेरी नज़र जुते की तरफ पड़
बहुत सस्ते मिल रहे थे और आपके पुराने जुते फटे चुके थे तो मैंने ले लिया आपके लिए
रौशनी के पिता के आंखों में आसूं आ गया उन्होंने रौशनी के सर पर हाथ फेरते हुए कहे मैं जानता हूं बेटी यह जुते तुझे अचानक से नहीं मिले हैं इसके लिए तुने दस दुकानों का चक्कर कांटा होगा क्योंकि जब आज तु काम पर जा रही थी तो बड़े गौर से मैंने तूझे अपने जुते को निहारते हुए देखा था
तू कितनी भोली है कितनी मासूम है मेरी बच्ची
तु वाकई बहुत बड़ी हो गई है बड़ी बड़ी बाते भी करने लगी कैसे कर लेती है मेरी लाडली कहकर उसे गले से लगा लेते हैं
रौशनी के आंखों में ख़ुशी के आंसु छलक जातें हैं
इतने में रौशनी की मां आती है सब मिल कर खाने पर जाते हैं
रंजना रौशनी की छोटी बहन जो बहुत शान्त स्वभाव की है
हमेशा डरी हुई रहती है किसी से ज्यादा बोलती नहीं है
घर के कामों में मां का हाथ बंटाती है और फिर लाईब्रेरी चलीं जाती है रंजना को पुस्तक पढ़ने का बड़ा शौक है
वह हमेशा कक्षा में अव्वल आतीं हैं उसके अध्यापक बहुत खुश रहते हैं रंजना से
रौशनी की सबसे छोटी बहन रिंकी बहुत चंचल निडर बातुनी टाइप की लड़की है घर में सबसे छोटी होने के कारण खुब लाड़ प्यार मिलता है मां की सबसे प्यारी बच्ची है घर के कामों से कोई मतलब नहीं पापा भी बहुत प्यार करते हैं रिंकी से
आलोक सबके सामने सीधा साधा मासुम दिखता था
पर अकेले में बहुत शरारती था जो पैसे उसे कालेज के फिस के लिए मिलते थे उसे वह दोस्तों में पार्टी कर लेता था फिस कभी जमा करता ही नहीं था घर वालो को आलोक से बहुत उम्मीदें थीं मुख्यत आलोक के पापा को आलोक के पापा कहते थे आलोक पढ़ लिख कर इंजिनियर बनेगा बहुत पैसे कमाएग घर की ग़रीबी दूर हो जाएगी फिर हमारी रौशनी को घर के खर्च के लिए पैसे नहीं कमाना होगा छोटी सी उम्र में हमारी रौशनी बहुत कुर्बानी दी है आलोक रौशनी के कुर्बानी का लिहाज करेगा
लेकिन आलोक पुरे घर वालो को बेवकूफ बना रहा था
अरे वह तो दाखिला ही नहीं लिया था इन्जिनियरिंग कालेज में
बस हर महीने रौशनी से पैसे लेता था कभी किताब के लिए तो कभी फिसल कभी कलम तो कभी अध्यापक का जन्मदिन के नाम पर
रौशनी सौ उपाय करती हैऔर उसे कभी पैसे का दुख नहीं होने देती कहती थी भाई तु पढ़ लिख कर इंजिनियर बन जा
हम सब यही चाहते है
पापा बहुत खुश होंगे जिस दिन तुझे इंजिनियर बना देखेंगे
आलोक समझता था कितने पागल है मेरे घर वाले झुठी उम्मीद लगाए हैं मैं तो इन्जिनियरिंग पढ़ता ही नहीं हूं मैं क्यों पैसे कमाए रौशनी दीदी है न कमाने के लिए मैं तो बस एवं करुंगा कितना नाम है दोस्तों में मेरा मैं तो बस मजे करुंगा
जिस दिन इन्जिनियरिंग का रिजल्ट घोषित होने वाला था
उस दिन रौशनी बहुत खुश थी उसे पुरा भरोसा था कि उसका भाई कालेज का टापर होगा
रौशनी ने सोचा अपने भाई को सरप्राइज़ दुगी उसका रिजल्ट मैं खुद उसे बताऊंगी और कहुंगी पगले तू तो अव्वल आया है हम सब का सपना पुरा कर दिया तुने अब तुम इंजिनियर बन जाओगे भाई यह ले मुंह मीठा कर
लेकिन जब रौशनी कालेज जाती है और बाहर लगे सुचना पट्ट पर आलोक का नाम नहीं पाती है तो अचंभित हो जाती है दौड़े दौड़े प्रधानाध्यापक के आफिस में जाती है कहती हैं अध्यापक जी आपने मेरे भाई का रिजल्ट सुचना पट्ट पर चपकवाना भूल गए हैं चलिए कोई बात नहीं आप मुझे बता दिजिए मेरे भाई का कितना नम्बर आया है बह पास तो है ना
अध्यापक जी रौशनी के तरफ देखते हुए पुछते है आप कौन हैं आपके भाई का क्या नाम है
रोशनी कहती है मैं आलोक की बहन हूं आलोक मेरा छोटा भाई है
आपके कालेज में पढ़ता है इन्जिनियरिंग फाइनल ईयर का छात्र है
अध्यापक जी कहते हैं मेरे कालेज में कोई आलोक नाम का छात्र नहीं पढता आपको गलतफहमी हुई है आपका भाई यहां नहीं पढ़ता है
रोशनी के पैर तले जमीन खिसक गई वह उल्टे पांव घर आती हैआलोक आलोक चिल्लाती है
आलोक दौड़ते हुए आता है क्या हुआ दीदी आप इतने गुस्से में क्यों हो इसके पहले मैंने इतने गुस्से में आपको कभी नहीं देखा क्या कोई बड़ी वजह है बताओ ना दीदी आलोक पुछता है
रोशनी आलोक की तरफ दखती है और पुछती है आज तुम्हारा रिजल्ट निकलने वाला था ना कहां है रिजल्ट कितना नम्बर आया है तुम पास हो गये ना बताओ आलोक अपना रिजल्ट दिखाओ कहां है
आलोक कुछ बोल ना सका वह चुप था इतने में आलोक के घर वाले आते हैं और पूछते अरे हां आलोक तुम्हारा तो रिजल्ट आने वाला था ना कहां है रिजल्ट दिखाओ तुम पास हो गए ना आलोक बड़ी देर बाद बोला मुझसे गलती हो गई दीदी मुझे माफ कर दे मैं तो इंजीनियरिंग कभी पढ़ा नहीं था एक्चुअल में मैंने तो इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ही नहीं लिया था मुझे पढ़ने में मन नहीं लगता है दीदी मैं वह सारे पैसे अपने दोस्तों में खर्च कर दिया मुझे माफ कर दे दीदी आलोक की आंखों में आंसू थे
रोशनी को गुस्सा आया वह आलोक पर हाथ उठाते हुए कहती है मैं कभी सोच भी नहीं सकतीं थीं तु हम सब के साथ ऐसा करेगा इतना बड़ा झूठ बोलते हुए तुझे सरम नहीं आई
तुझे पता है हर रोज पापा इस दिन का इन्तजार कर रहे थे कब तुम्हरा रिजल्ट आएगा
और तुम आज कह रही हो कि तुमने इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ही नहीं लिया सोचो पापा पर क्या गुजर रही होगी इतने में रोशनी के पापा को चक्कर आ जाता है और वह गिर जाते हैं और रोशनी की मां निकालकर आती है और रोशनी पर तंज कसते हुई कहती है कि पैसे दिए तो इसका मतलब मार डालोगी क्या बच्चा है गलती हो गई अब बस भी करो पैसे देने का मतलब पूरे घर को अपने उंगली पर नाच आओगी रोशनी अपने पिता को अस्पताल में भर्ती करती है उपचार होने के बाद रोशनी के पिता के हालात में सुधार आता है और फिर रोशनी अपने पिता को लेकर घर आती है आलोक को अब समझ आ गया होता है वह रोशनी से माफी मांगता है और अपने पिता से कहता है पापा मैं इंजीनियर जरूर बनूंगा मैं फिर से पढ़ूंगा मैं अपने पैसे से पढ़ लूंगा मैं दीदी पर और बोझ नहीं बनूंगा मैं एक दिन इंजीनियर बनकर आपको जरूर दिखाऊंगा वादा करता हूं पापा सब लोग खुश होते हैं और फिर आलोक का एडमिशन होता है इंजीनियरिंग कॉलेज में
अब आलोक पूरी ईमानदारी सी पढ़ाई करता है प्रतिदिन कॉलेज जाता है अपने दोस्तों से दूर रहता है घर का काम करता है इतना ही नहीं वह छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर कुछ पैसे भी कमाता है आलोक अब पूरी तरीके से सुधर चुका होता है यह सब देखकर रोशनी को बहुत खुशी होती है और रोशनी करती है मुझे पता था भाई तू सुधर जाएगा क्योंकि तू मेरा भाई है ना तू कभी गलत कर ही नहीं सकता था वह तो तू छोटा था जो तुमसे गलती हो गई थी तू बड़ा होकर पापा का नाम रोशन जरुर करेगा तू इंजीनियर जरूर बनेगा सब बहुत खुश थे पापा भी बहुत खुश थे आलोक दिन रात मेहनत करके आखिर में इंजीनियर बन गया जिस दिन आलोक इंजीनियर बना उस दिन घर में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी आलोक की पापा बहुत खुश हुई पूरे गांव में मिठाइयां बटी रोशनी भी खुशी से आलके मस्तक को चूम लिया रोशनी की मां ने आलोक को गले से लगाया और कहा बेटा तू तो इंजीनियर बन गया अब हम लोगों की गरीबी दूर हो जाएगी बेटा
घर की सभी लोग खाने पर बाहर जाते हैं बहुत खुशियों का दिन था घर वालों के लिए फिर उसे आलोक इंजीनियर बन जाता है और वह अपने इंजीनियरिंग करने लगता है रोशनी कपड़े की दुकान में काम करती है और रोशनी की दोनों बहने रंजन और रिंकी पढ रही होती है इसी दौरान रोशनी का एक दोस्त रहता है जो अच्छी घर से संबंधित रहता है और रोशनी के पापा सोचते हैं कि उसे रोशनी की शादी कर दी जाए रोशनी को भी वह लड़का बहुत पसंद था लेकिन यह बात रोशनी की मां को अच्छी नहीं लगी क्योंकि वह चाहती थी कि ।
वह रोशनी के पिता से कहती है नहीं अभी रोशनी की शादी नहीं होगी अगर रोशनी चली जाएगी तो घर में पैसों की तंगी आ जाएगी पहले रिंकी की शादी कर दी जाती है
यह बात रोशनी के पापा को बहुत बुरी लगती है लेकिन रोशनी की मां नहीं मानती है कहती है वह लड़का अच्छा नहीं है
और यह जानते हुए भी की रोशनी की शादी उस लड़के से हो रही है रिंकी ने उस लड़के से शादी कर लिया रोशनी के पापा रिंकी से नाराज हो गए और उसे अपने घर से निकाल दिया और कहा कि इस घर में दोबारा लौटकर कभी मत आना जिस दिन आओगी समझना तुम्हारी पिता मर चुकी होगी फिर इनकी चली जाती है रिंकी की मां बहुत दुखी होती है वह कहती है मेरी बच्ची है उसका भी यह घर है वह इस घर में आएगी मैं देखती हूं कौन रोकता है उसे
रिंकी जिस लड़के से शादी की है उसका नाम रोहित है रोहित एक चालाक और धूर्त किस्म का लड़का है रिंकी और रिंकी की मां रोशनी से अब नफरत करने लगी है उन्हें लगता है कि जो कुछ भी हो रहा है वह रोशनी की वजह से हो रहा है रिंकी के पापा जो रिंकी से नाराज हैं जिनकी को लग रहा है कि इस की वजह से ही नाराज हैं पापा रोशनी को बहुत ज्यादा मानते हैं इसलिए वह मुझसे नाराज हैं और आए दिन रोहित कोई न कोई बहाने बनाकर रिंकी से कहता है कि जाओ अपनी मां के घर से पैसे लाओ इस समय तंग है आगे नहीं रहेगी और रिंकी अपनी मां से कोई ना कोई बहाना करके पैसे मांगती रहती है और उसकी मां घरवालों की चोरी उसे पैसे देती रहती है एक दिन जब रोशनी ने पूछा कि मां आप रिंकी को पैसे क्यों देती हो तो उसकी मां ने कहा तुमसे क्या मतलब वह मेरी बेटी है मैं उसे पैसे दूं या ना दूं तुम्हें क्या
रोशनी ने कहा मां आप जानती हैं की रिंकी अपनी मर्जी से शादी की है पिता जी नहीं चाहते थे पिता जी रिंकी से नाराज हैं और हर किसी को उससे मिलने से मना किए हैं इसके बाद भी आप उससे छुप के मिलती है उसे पैसे देती है
पापा ने उसे समझाया था कि वह रोहित से शादी ना करें फिर भी रिंकी ने पापा की एक ना सुनी इस घर को छोड़कर चली गई रोहित से शादी कर ली
पिता जी के लाख मना करने के बावजूद भी आप रिंकी और रोहित से रिश्ता रख रही हैं उन्हें पैसे दे रही है आप को पता है ना मां रोहित के पास बहुत पैसा है फिर रिंकी आपसे पैसे क्यों मांगती है कभी आपने पुछा उससे
रिंकी की मां सुमन झल्लाते हुए कहा कि तेरे कमाई के पैसे मैं रिंकी को नहीं देती मैं अपने बेटे का पैसा देती हूं तुम्हें कोई हक नहीं हमसे यह सवाल करने का जब तक तेरे पैसे से घर चलता था तब तक तेरी मनमानी हम सब सहते थे अब नहीं सहेंगे
रोशनी के आंखों में आसूं आ गया रौशनी ने कहा क्या कहा मां आपने मेरे बातों का मान आप इसलिए रखती थी क्योंकि मेरे पैसे से घर चलता था बल्कि इसलिए नहीं कि मैं इस घर की बड़ी बेटी हूं
मां मैंने अपना फैसला कब सुनाया कब आप लोगों को अपने इशारों पर चलाया
मां क्या मेरी इतनी सी हैसियत है इस घर में मुझे तो लगता था सब मुझसे प्यार करते हैं पर आज पता चला कि लोग मुझसे नहीं मेरे पैसे से प्यार करते थे
रौशनी की मां सुमन ने ताना मारते हुए कहा पैदा होते ही अपनी मां को खा गयी अब मेरी बेटी की खुशियां खाने चली है
ऐसे ही चलता रहा तो इक दिन तु पुरे घर को खा जायेगी तुम्हारी कोई जरूरत नहीं है इस घर में चली जाओ इस घर से वैसे भी यह घर मेरा है मेरे नाम पर है
रौशनी के पिता मोहनदास रोते हुए कहते हैं चुप हो जाओ सुमन मेरी बेटी पर इतना जुर्म मत करो
आखिर तुमने बता ही दिया सौतेली मां कभी सगी मां नहीं बन सकतीं
रौशनी अपने पिता से पुछती है पापा क्या सच में यह हमारी सौतेली मां है तो हमारी सगी मां कहां है पापा
मोहनदास रोते हुए कहते हैं बेटी वह बहुत दुर चली गई है जहां से कभी कोई वापस नहीं आता
तेरी मा मर चुकी है बेटी जिस दिन तुम पैदा हुई उसी दिन तुम्हारी मां तुझे छोड़ कर चली गई
रौशनी अपने पिता से बात कर रही होती हैं तभी सुमन घसीटते हुए रौशनी को घर से बाहर निकाल देती है पिता जी रोकने की कोशिश की तो सुमन ने कहा जिसको इससे हमदर्दी है वह भी इसके साथ चला जाए
मोहनदास अपने बेटी के साथ जाने का फैसला किया किन्तु वह खुद से चल फिर नहीं सकते थे
उन्होंने कहा रौशनी बेटी मुझे भी अपने साथ ले चल इस घर में मेरा दम घुट रहा है बेटी
रोशनी ने कहा नहीं पापा मां ने सिर्फ मुझे इस घर से जाने को कहा है आप को नहीं आप क्यों जायेंगे पापा
आप के तीन बच्चे और मां इसी घर में रहते हैं आप भी इस घर में ख़ुशी ख़ुशी रहिए हमारा क्या पापा हम कैसे भी जी लेगे
आपको हमसे प्यार करते हैं तो कृपया करके इसी घर में रहिए पापा हमारे खातिर रौशनी के पापा मजबूर थे
रौशनी घर छोड़ कर जाने लगती है रंजना अपने मां से कहती हैं मां रौशनी दीदी को रोक लो मां आप बहुत बड़ी ग़लती कर रही है
रौशनी दीदी बहुत अच्छी है मां उनके साथ ऐसा मत करो
हम लोग जो कुछ भी है रौशनी दीदी की वजह से है
सजा तो रिंकी को मिलनी चाहिए मां लेकिन आपने उसे सजा ना देकर रोशनी दीदी को सजा दे रही है क्योंकि वह आपकी सौतेली बेटी है इसलिए यह बहुत गलत कर रही है मां आप रोक लीजिए नहीं तो मैं भी रोशनी दीदी के साथ चली जाऊंगी उसकी मां कहती है ठीक है तुझे भी रोशनी के साथ जाना है तू जा लेकिन मैं उस लड़की को इस घर में दोबारा कभी नहीं रहने दूंगी
इतना सुनते ही रंजना भी रोशनी के साथ जाने लगती है तो सुमन ने रंजना को पड़कर रोक लेती हैं और रोशनी को धक्के मार कर बाहर निकाल देती हैं
यह देखकर रंजना बहुत दुखी होती है
सुमन रंजना को एक कमरे में कैद कर देती है और कहती है बहुत बहुत फिक्र है ना तुझे रोशनी की तो तू इसी में पड़ी रहे जिस दिन फिकर खत्म होगी तुझे इस कमरे से निकाल देंगे हम
रंजना रोती रह जाती है वह कुछ नहीं कर सकी और रोशनी चली जाती है अब बिचारी रोशनी कहां जाए वह सोच रही होती है वह दरबदर भटक रही होती है इतनी में वह जिस दुकान में काम करती है उस दुकान के मालिक एक भले इंसान थे उन्होंने कहा बेटी अगर तुझे कोई तकलीफ नहीं है तो तू मेरे घर मेरी बेटी बनकर रह सकती है मुझे कोई एतराज नहीं होगा और ना ही मेरे परिवार वालों को रोशनी धन्यवाद कहते हुए मना कर देती है
कहती है नहीं चाचा जी मैं किसी पर बोझ नहीं बनूंगी मैं अपना खुद का घर बनाऊंगी मैं दिन-रात मेहनत करूंगी बहुत पैसे कमाऊगी और अपने लिए एक घर बनाऊंगी
हां मैं कुछ दिन के लिए आपके घर रुक जाती हूं जब तक मैं अपना घर नहीं बना लेती मालिक कहते हैं ठीक है बेटा जैसा तू उचित समझ
रोशनी अब मालिक के घर में रहने लगती है मालिक और मालिक के घर वाले रौशनी को अपनी बेटी की तरह मानते हैं
रौशनी भी उनकी बहुत इज्जत करती है
इक दिन रौशनी कहती है चाचा जी मैं बहुत अच्छा नृत्य करती हूं बचपन में मैं ने नृत्य सिखा है मैं चाहती हूं मैं बच्चों को नृत्य सिखाऊं
पास वाले कालेज से मुझे आफर भी आया है अगर आप कहें तो मैं इस कालेज में नृत्य अध्यापिका के तौर पर नियुक्त हो जाऊ
मालिक का नाम केशव है
केशव जी कहते हैं अगर तुम्हें ठीक लगता है तुम्हारा विचार है तो तुम बेझिझक नृत्य अध्यापिका के तौर पर नियुकहो जाओ
रोशनी बहुत खुश होती है और वह उसे कॉलेज में नृत्य अध्यापिका के तौर पर नियुक्त हो जाती है वहां वह बच्चों को नृत्य सिखाती है बच्चे भी रोशनी से बहुत प्यार करते हैं और रोशनी को उन बच्चों से बहुत ज्यादा लगाव हो जाता है वहां एक और टीचर रहती है जो नृत्य सिखाती है उनका नाम रहता है कल्पना
कल्पना रोशनी की बहुत अच्छी दोस्त बन जाती है अब रोशनी अपनी हर अच्छी बुरी बातें कल्पना को बताती है कल्पना भी अपना हर सुख दुख रोशनी को शेयर करती है इस तरह से रोशनी की जीवन में अब खुशियां आने लगती है रोशनी बहुत खुश रहती है अपने जीवन में और धीरे-धीरे रोशनी ज्यादा पैसे भी कमाने लगती है अब रोशनी सोचती है कि उसे अपने लिए एक नया घर ले ही लेना चाहिए
वह बैंक से कुछ कर्ज लेती है और कुछ पैसे उसके पास होते हैं जिससे वह अपने लिए एक घर खरीदती है
घर खरीदने के बाद वह किशोर से कहती है अंकल मैं अब अपने घर जा रही हूं ।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मैं आपको कभी नहीं भूलूंगी आप मेरे पिताजी जैसे हैं।
आपका यह कर्ज मैं इस जीवन में नहीं उतर पाऊंगी, चाचा जी मुझसे मिलने आते रहिएगा ।
रोशनी को केशव चाचा से और उनके घर वालो से बहुत प्यार बहुत सम्मान मीरा रोशनी इस घर को छोड़कर जाना नहीं चाहतीं थीं पर क्या करें मुक्त की रोटी भी नहीं खाना चाहती थी वह अपने दम पर जीना चाहती थी
चाचा उसे नहीं रोकते हैं बल्कि केशव चाचा को रोशनी पर नाज होता है।
और उन्होंने रोशनी की सर पर हाथ फेरते हुए कहते हैं
बेटी तू बहुत बहादुर है तू बहुत ऊंचा जाएगी तू अपना अपने परिवार का और मेरा नाम जरूर रोशन करेगी
और हांहां अपने केशव चाचा को भुल मत जाना आते रहना बेटी सब इक दुसरे के गले मिलते हैं आंखों में आसूं थे
रोशनी अलविदा कह कर अपने घर चली जाती है
शहर जाकर रोशनी और कल्पना एक नृत्य कॉलेज खोलते हैं।
इस कालेज का नाम श्री केशव नृत्य कालेज रहता है
इस नृत्य कालेज का उदघाटन केशव चाचा के साथ से होता है
रोशनी अपनी जीवन में बहुत खुश थी अब उसके पास पैसे भी थे इधर रिंकी और उसका पति रोहित रोज लड़ाई करते थे रोहित किसी ने किसी वजह से रिंकी को हर रोज तंग करता था बहुत मारता था यह देखकर रिंकी की मां सुमन बहुत उदास सी रहती थी ।
और वह कर भी क्या सकते थे रिंकी के पिता भी अपनी बेटी के हालात को देखकर बहुत दुखी होते थे लेकिन अपने अपाहिज होने के कारण व असहाय महसूस कर रहे थे
वह कुछ कर नहीं सकते थे और रिंकी का भाई आलोक जो अभी रिंकी से बहुत नाराज है वह कहता है कि रिंकी की जो हालात है उसकी जिम्मेदार वह खुद है
उसकी वजह से उसकी बहन रोशनी घर छोड़कर चली गई रंजना कमरे में कैद है
इन सब की जिम्मेदार रिंकी है, वह रिंकी को कभी माफ नहीं करेगा
अपनी मां की कार्यों से दुखी होकर आलोक कभी घर नहीं आता है
बस महीने का तनख्वाह भेज देता है अपनी मां के पास जिससे कि मां घर का खर्च चलाती हैं
घर की हालात बहुत बुरी हो गई।
अब रिंकी अपने पेट को पालने के लिए लोगों के घर में जाकर झाड़ू पोछा बर्तन करती थी।
इतनी से भी रोहित का मन नहीं मानता था वह रिंकी को नाचने पर मजबूर करता था वह कहता था कि अगर तू नाचेगीं तो बहुत पैसे मिलेंगे जिससे मैं ऐश करूंगा।
केशव चाचा रोशनी से इक दिन कहते हैं रौशनी मुझे लगत
है कि अब तुझे शादी कर लेनी चाहिए
रौशनी कहती है ठीक है चाचा आप कहते हैं तो मैं शादी कर
लूंगी पर कोई लड़का मिले तो सही सब हंसते हैं और बातें यहीं खत्म होती है
एक दिन अचानक रोशनी को अपने पिता मोहनदस और अपने परिवार वालों की याद आने लगी
उसकी मन उनसे मिलने को होने लगा पर अपनी मां की बात याद कर वह रुक जाती है
अपने घर अपने पिता और घर वालों से मिलने नहीं जाती है फिर अगले दिन उसे उनकी याद आती है इस बार वह हिम्मत जताकर अपने पिता से मिलने उनके घर गई लेकिन जब वह वहां जाती है तो उन्हें वहां नहीं पाती है आसपास के लोग बताते हैं कि वह लोग यह घर छोड़कर कहीं दूसरी जगह रहने चले गए हैं रोशनी ने उनका पता पूछा तो पास पड़ोस के लोगों ने कहा कि उन्होंने नए पता के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया है
रोशनी दुखी हो कर वहां से चली जाती है बहुत डुबती है अपने घर वालों पर उन्हें नहीं ढूंढ पाती है