दिव्या की मां जिनका नाम मंजरी है मंजरी और रोशनी दोनों मिलकर गांव की औरतों की स्थिति सुधारने के लिए पहला कदम बढ़ा देती है यह देखकर दिव्या और बाकी बच्चे काफी खुश होते हैं अब दिव्या को पूरी तरीके से विश्वास हो चुका था कि वह जरूर शहर पढ़ने जाएंगे इतना ही नहीं गांव की बाकी बच्चियों भी अपने सपनों को पूरा कर सकेंगे रोशनी गांव की हर एक घर में जाती है उन लोगों को समझता है कि वह लोग अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाएं इस तरह से जुर्म ना सही वह कोई जानवर या भीड़ पकड़िया नहीं है कि जिन पर अपनी मर्जी चलाई जाए और वह लोग चुपचाप सहती रहे उनका भी अपना कुछ सपना है और उसे सपने को पूरा करने के लिए उन्हें आवाज उठानी होगी लेकिन उनमें से ज्यादातर महिलाएं रोशनी का अपमान कर उसे अपने घर से जाने पर मजबूर कर देती हैं कुछ रोशनी की हक में बातें तो करती हैं लेकिन रोशनी का साथ देने से डरती है वह अपने हालातो से निकलना तो चाहती हैं पर अपने हालात से निकलने के लिए उनमें हिम्मत नहीं होती क्योंकि उन्हें पता है यह स्थिति इतनी आसानी से नहीं सुधरेगा इसके लिए बहुत सारी लड़ाइयां लेनी पड़ेगी जो वह लोग नहीं कर सकेंगे रोशनी लगातार उनकी स्थिति सुधारने का प्रयास करती है लेकिन फिर भी रोशनी के संगठन में बहुत कम लोग ही रहते हैं फिर भी रोशनी का मिशन जारी रहता है रोशनी को अब अपने बच्चों के बीच चिंता होती है वह कल्पना से कहती है कल्पना तू इन बच्चों का ख्याल रखना कुछ दिन के लिए कॉलेज तुम अकेले संभालना जब तक इन गांव की औरतों की स्थिति ठीक ना हो जाए और इनका इन्हें हक ना मिल जाए तब तक मैं इसी गांव में रहूंगी कल्पना आती है और बच्चों के साथ में कॉलेज वापस जाती है और कल्पना के देखरेख में नृत्य कॉलेज चल रहा होता है इधर रोशनी गांव की बच्चों को ट्यूशन पढ़ने लगती है रोशनी के ट्यूशन में दो-चार बच्ची होते हैं लेकिन धीरे-धीरे करके रोशनी के ट्यूशन क्लास में बच्चों की संख्या बढ़ने लगती है क्योंकि रोशनी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं होती है वह केवल 12वीं तक पड़ी होती है लेकिन रोशनी एक कुशल बुद्धि की छात्रा थी वह अब उसके पास जो नॉलेज था वह गांव की बच्चियों को वह दे रही थी यह बात सरपंच के यहां पहुंचती है सरपंच गुस्से में लाल होकर रोशनी के पास आते हैं रोशनी को खूब खरी-कोटी सुनते हैं और उसे गांव से निकल जाने की धमकी देते हैं लेकिन रोशनी भी डटी रहती है उसे जरा भी सरपंच से डर नहीं लगा वह पूरे साहस से सरपंच का सामना करती हैं
रोशनी की यह हिम्मत देख सरपंच जी समझ जाते हैं कि यह लड़की इतनी आसानी से मानने वाली नहीं है इसी डराया नहीं जा सकता यह इतनी आसानी से एक गांव भी नहीं छोड़ेगी यह बहुत दृढ़ और साहसी लड़की है इस लड़की को इस गांव से निकालने के लिए कोई दूसरा उपाय ढूंढना होगा लेकिन क्या सरपंच की सोचते हैं
रोशनी का साहस देख देख गांव की औरतों को हिम्मत मिल जाती है और वह सब ठान लेती है कि उन्हें रोशनी का साथ देना है और वह सब रोशनी का साथ देने के लिए तैयार हो जाती हैं रोशनी के पास जाती है उसे माफी मांगती है और कहती हैं हम लोग आपके साथ हैं आपकी हर कदम पर साथ देंगे आप हमारे लिए इतना कुछ कर रही हैं और हम लोग हैं कि आपका साथ नहीं दे रहे थे रोशनी को या बदला हुआ नजारा देखकर काफी खुशी होती है और वह कहती है आप लोगों का साथ हम यह बताता है कि हमारी जीत की पहली सीढ़ी हम लोग चढ़ चुके हैं संगठन में शक्ति है यह कहावत तो आप लोगों ने सुना ही होगा तो अब हमारा एक संगठन हो गया और अब आप लोगों को आप लोगों का हक जरूर मिलेगा अब तो सरपंच जी को हर एक बात का पता चलता है इस बात का भी पता चला कि गांव की सारी औरतें रोशनी के संगठन में शामिल हो गई है वह अपने पर हो रहे जिनके खिलाफ आवाज उठा रही हैं अब वह भी बेखौफ हो चुकी है यह बात सरपंच को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी वह रोशनी को जान से मार देने की धमकी देती हैं और अगली सुबह जब रोशनी अपने कर से जा रही होती है तो सरपंच जी के कुछ गुंडे रोशनी के कर का एक्सीडेंट करवा देते हैं रोशनी बुरी तरह से चोटिल होती है
इस इस एक्सीडेंट से रोशनी के पैर में गहरी चोट लगती है लेकिन फिर भी रोशनी यह लड़ाई जारी रखती है रोशनी के एक्सीडेंट का पता प्रमोद को चलता है प्रमोद और माधुरी चाची इस गांव में आते हैं और रोशनी से कहते हैं यह मिशन तू यही छोड़ दी इसमें बहुत खतरा है अब हम तुझे यहां नहीं रहने देंगे तुझे लेने आए हैं तू चल मेरे साथ रोशनी कहती है माधुरी चाची अगर मैं आज चली जाऊंगी तो इतने दिनों की किए कराए पर पानी फिर जाएगा क्या आप नहीं चाहती की हर औरत को उसका अधिकार मिले आप तो कहती है ना जहां गलत हो वहां चुप नहीं रहना चाहिए गलत के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और बेसहारों का सहारा बनना चाहिए तो फिर आप ही मुझे यहां से जाने की बात कर रही हैं आप तो हमेशा हिम्मत की बातें करती थी ना तो मेरे पैर में यह छोटा सा चोट देखकर आपकी हिम्मत कहां चली गई आपको देखकर तो मुझे हिम्मत मिलती है लेकिन आज आप ही मुझे यहां से जाने की बात कह रही हैं यहां तक आकर लौट जाने की बात कर रही हैं क्या यह सही होगा रोशनी पूछती है माधुरी से रोशनी किया बातें सुनकर माधुरी कहती हैं ठीक है अगर तू नहीं जाना चाहती तो मत जा हम लोग भी तुम्हारे साथ यही रहेंगे तब तक जब तक की तू इस मिशन में कामयाब नहीं हो जाती माधुरी चाची की यह बात सुनकर रोशनी खुशी से झूम उठती है माधुरी और प्रमोद रोशनी का बहुत ख्याल रखते हैं और बहुत जल्द ही रोशनी की पर ठीक हो जाती हैं और अब गांव की सारी औरतें का पूरा-पूरा साथ रोशनी को मिल चुका होता है और गांव की सारी औरतें अपने हक के लिए आवाज उठाती हैं
क्रमश