अगले दिन सुबह होते ही परी सबसे पहले उठ कर दैनिक किरिया कलाप कर मेला जाने के लिए तैयार हो गई वह दादी के पास जाती है उन्हें उनके कपड़े तो कभी चप्पल देते हुए कहती हैं आप लोग कितने धिरे काम करते हो जल्दी चलो नहीं तो हम लेट हो जाएगे और वहां की सारी सामान भी खत्म हो जाएगी उसे बहुत जल्दी है मेला जाने को बहुत खुशी भी है उसको
जब तैयार हो गए मेला देखने जाने को रोशनी प्रमोद माधुरी और परी मेला देखने कार में बैठ कर जाते हैं
रास्ते में ढेर सारी बातें करते हैं बातों ही बातों में मेला में कब आ जाते हैं पता ही नहीं चलता है
अब परी अपने दादी और मम्मी का हाथ पकड़कर कर मेला घूमने लगती है प्रमोद भी अपनी बेटी के साथ मेले का आनन्द लेते हैं परी बड़े चाव से वहां के सामान को देखती हैं ढेर सारे खिलौने खरीदती है कुछ अपने लिए कुछ अपने दोस्तों के लिए
अब वह मेलेमे कैंडी फ्लैस्क खाने के लिए जाती है झुला जुलती है तभी रोशनी की सहपाठी मेला में मील जाती है रोशनी अपनी सहेली से बात करने लगी परी दादी के साथ मेला घूमने लगती है घुमते घुमते परी अपने दादी का हाथ छोड़ देती है इक छोटा सा लड़का हाथ में गुब्बरा
लिए गुब्बारा ले लो गुब्बारा ले लो चिल्लता है
परी गुब्बारा लेने के लिए उसके पिछे पिछे चलने लगती है उधर परी का हाथ अपने हाथ में ना पाकर दादी परेशान होकर परी को ढुढने लगती है
इधर परी उस गुब्बारे वाले के पीछे-पीछे चलने लगती है बहुत दूर तक आ जाती है उसके पीछे-पीछे चलते हुए जो गुब्बारा बेच रहा था वह महज 10 साल का लड़का था वह पीछे मुड़कर देखा है तो एक छोटी सी मासूम सी बच्ची उसके पीछे-पीछे आ रही है वह पलट कर पूछता है क्यों आ रही हो बाबू तुम्हें क्या चाहिए क्या तुम अकेली हो तुम्हारी मम्मी कहां है परी कहती है मुझे गुब्बारा दे दो ना भैया मुझे को गुब्बारा चाहिए अभी मैं अपनी दादी के साथ थी वह लड़का पूछता है तब तुम्हारी दादी कहां है परी करती इधर कहीं होगी वह लड़का परी को गुब्बारा देता है और कहता है चलो अपनी दादी का पता बताओ मैं तुम्हें वहां तक छोड़ देता हूं अकेले तुम इस भीड़ वाले मेले में कहीं खो जाओगे इधर दादी भगति भी रोशनी के पास आती हैं और पूछती है क्या तुमने कहानी परी को देखा परी यहां आई है क्या रोशनी करती है नहीं परी तो आप ही के साथ गई थी माधुरी चाची कहती हां वह गई तो थी मेरे साथ लेकिन अचानक से मेरा हाथ छुड़ाकर वह कहीं चली गई मैं बहुत ढूंढ रही हूं वह नहीं मिल रही है अब रोशनी भी मेले में परी को ढूंढती है बहुत ढूंढने के बाद भी परी नहीं मिलती है रोशनी प्रमोद और माधुरी परी को ढूंढ ढूंढ कर पूरी तरीके से थक चुके थे उन्होंने अब मेले में अनाउंस भी करवाया लेकिन फिर भी परी का कोई पता नहीं चला गुंबारे वाला लड़का परी को साथ लेकर परी की दादी को ढूंढ रहा था परी की मम्मी को ढूंढ रहा था लेकिन वह उसकी मुलाकात किसी से नहीं हुई संध्या होने वाली थी धीरे-धीरे अब रात हो गई
ना परी को उसकी मम्मी मिली
और ना उसकी मम्मी और दादी को परी
इस तरह परी मेले में खो गई अपने मम्मी दादी और पापा से बिछड़ गई यह लड़का परी को अपने साथ लेकर घर आता है कहता है मैं तुम्हारी दादी को और मम्मी को ढूंढ निकलेगा वैसे तुम्हारा नाम क्या है परी कहती है मेरा नाम परी है
प्रमोद और रोशनी पूरी रात परी को ढूंढते हैं पर परी कहीं नहीं मिली रोशनी और दादी का रो-रो कर बुरा हाल हो जाता है प्रमोद सबको घर ले आते हैं लेकिन हर रोज रोशनी कहती है चलो परी को ढूंढा जाए सालो तक सिलसिला चलता रहा लेकिन परी का कोई पता नहीं चला फिर भी रोशनी को ऐसा लगता था परी जरूर मिल जाएगी परी की हर बर्थडे पर केक काटती उसके लिए तोहफे लाती है
प्रमोद ने तो अब यह उम्मीद भी छोड़ दी थी कि उसकी परी कभी मिलेगी वह रोशनी से कहता था हमारी परी कहीं खो गई रोशनी अब वह हमें कभी नहीं मिलेगी हमें नहीं लगता है कि अब उसे ढुढना चाहिए कब तक खुद को तुम दुख देती रहोगी रोशनी कहती थी मेरी परी जरूर मिलेगी
रोशनी हर रोज इस स्थान पर जाती थी जहां मेला लगा था घंटे ढूंढती थी बैठकर इंतजार करती थी उसे लगता था आज नहीं कल परी यही जरूर मिल जाएगी उसे समय बीती गया पर रोशनी वहां बैठकर इंतजार ही करती है सिर्फ एक उम्मीद में कि उसकी परी आएगी
माधुरी का तो अब भगवान से भी भरोसा उठ गया वह हर रोज मंदिर जाकर यही दुआ मांगती है उसकी परी जल्दी से जल्दी उसे मिल जाए पर सालों तक दुआ मांगने के बाद भी जब परी नहीं मिलती है तो उसे लगता है जीस मंदिर में आकर वह दुआ मांगती है वहां तो भगवान होते ही नहीं है वहां तो एक पत्थर है जो उसकी मुराद कभी नहीं पूरी करेगा वह भगवान से बहुत शिकायत करती है अब तो वह पूजा भी नहीं करती चुप-चुप खामोश से रहने लगी ना किसी से बातें करती थी ना कोई फैसला सुनाती थी जैसी मानो उसे अब किसी से कोई मतलब ही नहीं रहा ऐसा दशा देखकर प्रमोद बहुत बेचैन हो जाते थे कल तक जिस घर में सिर्फ खुशियां ही खुशियां थी आज उसे घर में किसी के चेहरे पर मुस्कान तक नहीं दिखाई देती
कब रोशनी रोज सुबह उठकर जल्दी-जल्दी घर का काम कर कुछ छड़ के लिए वह अपनी कॉलेज जाती थी फिर समय निकालकर वह उसे मेले वाले स्थान पर जाती कि यह उसका अब रोज का दिनचर्या हो गया था लेकिन एक दिन जब अपने परिवार वालों की यह दशा देखकर उसे बहुत अफसोस होता है और वह मन ही मन निश्चय किया कि वह अपने परिवार वालों को और दुखी नहीं देख सकती है रोशनी कहती है अब मैं कभी भी अपने परिवार वालों को दुःखी नहीं होने दुगी मैं कुछ ऐसा करूंगी जिससे वापस से इनके चेहरे पर मुस्कान आ सके पर क्या रोशनी सोचती है
फिरफिर उसके मन में एक विचार आया क्यों ना पहले की तरह हम फिर अपनी घर में पड़ोस के छोटे छोटे बच्चों को बुलाते हैं उनके साथ खेलते हैं अगर ऐसा होता है तो माधुरी चाची का मन लगा रहेगा वह परी को कुछ समय के लिए भूल पाएगी आखिर उन्हें बच्चों से बहुत प्यार है
अगले दिन रोशनी अपने घर पर बच्चों को बुलाती है लेकिन उन बच्चों को देखकर माधुरी चाची को और ज्यादा परी की याद आने लगी रोशनी की यह कोशिश नाकामयाब रही
रोशनी खुद भी अपने बेटी परी को नहीं भूल पाती है फिर भी वह अपने दुख छुपाकर घरवालों का ख्याल रखती है वह उन्हें हंसाने का हर सम्भव प्रयास करती है पर अकेले में बह खुब रोती है जहां वह खुद रोती है और अपने आंसू भी खुद पोछती है
गम छुपाकर मुस्कुराना और दुसरो के लिए जीना तो रोशनी की आदत बन चुकी है कितनी बहादुर कितनी सहनशील है रोशनी
क्रमशः